भारतीय क्रिकेट टीम के गेंदबाज करोड़पति जसप्रीत बुमराह के दादा एक छोटे से कस्बे में किराए के टूटेफूटे कमरे में रहकर मुफलिसी में जिंदगी बिता रहे हैं।एक समय वह अहमदाबाद के बड़े उद्योगपतियों में शुमार थे। जसप्रीत के दादा का नाम संतोख सिंह बुमराह है, जो आज रोजी रोटी के लिए मोहताज़ हैं।
संतोखसिंह मूलतः अहमदाबाद के रहने वाले हैं, जहां इनके फैब्रिकेशन के तीन कारखाने थे। 2001 में पीलिया के कारण उनके बेटे और जसप्रीत के पिता जसवीरसिंह का निधन हो गया। बेटे की मौत ने उन्हें तोड़ दिया। फैक्ट्रियां आर्थिक संकट से घिर गईं और बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए इन्हें बेचना पड़ा।
संतोख सिंह आजकल बुढ़ापे में अपने पोलियोग्रस्त छोटे बेटे जसविंदर सिंह के साथ उधम सिंह नगर जिले के इस छोटे से कस्बे में किराए के टूटे फूटे कमरे में रह रहे हैं और टैम्पू चलवाकर कर अपना और उसका भरणपोषण कर रहे हैं।
संतोख सिंह ने जसप्रीत के बचपन की फोटो बहुत सहेज कर रखी है और वह उससे मिलना चाहते हैं। संतोख सिंह का कहना है कि जीवन के आखिरी पड़ाव में उनकी तमन्ना अपने पोते को गले लगाकर उसे प्यार करने की है और वह उसे छूकर आशीर्वाद देना चाहते है।
उन्होंने कहा, ‘कभी गोदी में खेलता उनका पोता आज देश के लिए खेल रहा है और वह क्रिकेट का चमकता सितारा बन गया है।’
उन्होंने कहा कि अगर यह सच हो गया तो यही उनकी ज़िन्दगी का सबसे बेहतरीन पल होगा. मीडिया के माध्यम से मिलने का मार्मिक सन्देश वह अपने पोते तक पहुंचाना चाहते हैं।
संतोख कहते हैं, ‘मेरी यह दुआ है कि पोता क्रिकेट के खेल में खूब तरक्की करे और देश का नाम रोशन करे। मेरी आखिरी तमन्ना है कि एक बार अपने पोते को गले से लगा सकूं।’ संतोखसिंह ने स्थानीय एसडीएम नरेश दुर्गापाल से आर्थिक मदद की गुहार की है।’
उन्होंने कहा, ‘अब वाहे गुरु मेरी अंतिम इच्छा पूरी कब करते है. मैं उसका इंतज़ार कर रहा हू।’ इस बीच, क्रिकेटर जसप्रीत के दादा की माली हालात की जानकारी मिलने पर उपजिलाधिकारी नरेश दुर्गापाल ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाया और उन्हें आथर्कि मदद का भरोसा दिलाया।
पिता की मौत के बाद जसप्रीत और उनकी मां दलजीत परिवारिक कारणों से अपने दादा से अलग हो गए थे। वे फिर कभी दादा से नहीं मिले। दलजीत तब स्कूल में प्रिंसिपल थीं।
हालांकि 84 साल के बुज़ुर्ग संतोख सिंह को अपनी इस ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है और वह इसे कुदरत का खेल मानते हैं।