जगप्रवेशचंद्र अस्पताल में जन्म के 15 घंटे के भीतर ही हुई नवजात की मौत पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। दरअसल, बच्चे के दिल की धड़कन कम थी पूरा परिवार अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे। लेकिन, किसी भी अस्पताल ने उस नवजात को भर्ती नहीं किया। बता दें कि समय से इलाज नहीं मिलने के कारण नवजात की मौत हुई है।
सीनियर लॉयर अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस के सामने ये मामला उठाया। इसके बाद कोर्ट ने सरकारी एजेंसियों से इस मामले में जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि, ‘आज हम डिजिटल वर्ल्ड में रह रहे हैं, लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में कनेक्टिविटी की ऐसी कमी है कि एक नवजात को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इलाज न मिलने से बच्ची की मौत हो गई। ये बड़ा गंभीर मामला है।’
हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग, तीनों नगर निगम से इस मामले में 4 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। हाइकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को करेगा।
बच्ची के दादा ने बताया कि, 21 नवंबर को जगप्रवेशचंद्र अस्पताल में उनकी बहू ने एक बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की धड़कन कम है। अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है, ऐसे में रिजवान रेफर कागज लें इसको कहीं और भर्ती करा दे। लेकिन जगह न होने की बात कहकर किसी भी अस्पताल ने बच्ची को एडमिट नहीं किया।