भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत गुरुवार को सिक्किम के दौरे पर जाएंगे। ये दौरा इसलिए अहम है क्योंकि सिक्किम बॉर्डर पर पिछले दो दिन से चीन की दादागीरी सामने आई है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा चीन ने रोक दी है। तीर्थयात्रियों को बॉर्डर से वापस लौटा दिया है। बॉर्डर पर तनाव के बहाने चीन पिछले दो दिन से भारत को धमका रहा है। सेना प्रमुख का ये दौरा हालांकि पहले से तय था, मगर ये चीन के साथ चल रहे बॉर्डर पर तनाव के ताजा हालात के बीच बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. जनरल बिपिन रावत सिक्किम बॉर्डर पर फॉरवर्ड पोस्ट पर जाएंगे और सीनियर कमांडर्स के साथ सुरक्षा के हालात की समीक्षा करेंगे।
बुलडोजर से तोड़ा बंकर-
इससे पहले बुधवार को एक बार फिर खबर आई है कि चीन ने भारत और भूटान के साथ लगी अपनी सीमा पर स्थित भारतीय सेना के एक पुराने बंकर को बुलडोजर का इस्तेमाल करते हुए हटा दिया। जानकारी के अनुसार भारतीय बंकर हटाए जाने की घटना जून के पहले सप्ताह में सिक्किम के डोका ला इलाके में हुई जिससे सिक्किम क्षेत्र में भारत-चीन सीमा पर तनाव पैदा हो गया। भारत-चीन के बीच जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर की सीमा है। इसमें से 220 किलोमीटर सिक्किम में आता है। खबरों के मुताबिक चीन ने उस वक्त बुलडोजर जैसी भारी मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए पुराने बंकर को जबरन हटाया, जब भारत इसे हटाने के चीन के आग्रह पर तैयार नहीं हुआ।
मानसरोवर यात्रा रोकी-
इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि सिक्किम में बॉर्डर को पार करके भारत के जवान उसके इलाके में आए हैं। चीन के विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने इसे भारतीय जवानों की घुसपैठ कहा और पीछे हट जाने को कहा है। इसी की वजह से चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा को भी रोक दिया और पहले बैच के 50 भारतीयों को वापस लौटा दिया। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि जब तक भारत के सैनिक पीछे नहीं हटेंगे तब तक वो मानसरोवर यात्रा नहीं होने देगा।
भारत ही नहीं, भूटान से भी चीन का विवाद-
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि जिस भी तरीके से भारत को नियमों का सबक सिखाना पड़े, सिखाना चाहिए। अब चीन ने ये कहते हुए सिक्किम बॉर्डर पर भारतीय सेना के एक पुराने बंकर को तोड़ दिया कि भारत उसका कहना नहीं मान रहा है। सिक्किम बॉर्डर की वो जगह है, जहां डोंगलांग में चीन एक सड़क बना रहा है, उस पर भारत ने आपत्ति जताई थी क्योंकि जिस इलाके में चीन सड़क बना रहा है, वो भारत के साथ-साथ भूटान के भी इलाके में आती है। सिक्किम के बॉर्डर से जुड़ा हुआ ये वो इलाका है, जहां पर चीन का भारत के साथ ही नहीं भूटान के साथ भी विवाद है।
2008 में भी तोड़े थे बंकर-
चीन का कहना है कि उसका सड़क बनाना सही है क्योंकि ये इलाका न भारत का है और न ही भूटान का है। चीन ने 1890 की ब्रिटिश राज की संधि का हवाला देते हुए सिक्किम बॉर्डर के पास के इलाके को अपना बताया है। यहां तक कि चीन ने कहा कि इस 127 साल पुरानी संधि के अनुसार सिक्किम का प्राचीन नाम झी है और जिस इलाके में सड़क बनाने पर भारत एतराज जता रहा है, वो इलाके की सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं रहा है। मगर सच्चाई तो ये है कि सिक्किम बॉर्डर पर चीन पहले भी दादागीरी दिखाता रहा है, 2008 में भी उसने सेना के बंकर तोड़े थे। तिब्बत से सिक्कम और भूटान को जोड़ने वाले बॉर्डर पर चीन लगातार सड़कें बनाने और ज़मीन कब्जा करने की कोशिशें करता रहा है।
भारत-अमेरिका दोस्ती से जला चीन-
इस बार ये मामला तब सामने आया है, जब भारत और अमेरिका की दोस्ती नए सिरे से अपडेट हुई है। बराक ओबामा के बाद ट्रंप के राज वाले अमेरिका से भारत के रिश्ते कैसे होंगे, ये भी क्लियर हो चुका है, जिससे पाकिस्तान को सीधे तौर पर और चीन को संकेतों में कूटनीति का अलर्ट मिल गया है कि आने वाले दिनों में उसको हर मनमानी करने की छूट नहीं मिलेगी। शायद यही वजह है कि भारत-अमेरिका की सच्ची दोस्ती से चीन का दिल जल गया है।