नई दिल्ली, 8 जून 2021
भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ने एक बड़ा ही भावुक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया है। रोचक बात ये है कि इस बच्ची ने अपने लेटर के साथ अपनी एक ड्राइंग भी सीजेआई को भेजी है।आइए जानते हैं पूरा मामला
पांचवी की छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट की तारीफ करते हुए लिखा ये पत्र
दरअसल, केरल के पांचवीं कक्षा के छात्र से भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को एक दिल को छू लेने वाला पत्र लिखा है। ये लेटर COVID-19 मुद्दों से निपटने के लिए अपने प्रभावी हस्तक्षेप के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सराहना करता है। केंद्रीय विद्यालय, त्रिशूर, केरल के 5 वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा लिडविना जोसेफ ने CJI को पत्र लिखकर COVID संकट के दौरान लोगों की जान बचाने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों की सराहना की।
छात्रा लिडविना जोसेफ ने अपने पत्र में लिखी ये दिल छू देने वाली बात
छात्रा लिडविना जोसेफ ने अपने लेटर में लिखा ‘अखबार से मैं समझ गई कि हमारे माननीय न्यायालय ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आम लोगों की पीड़ा और मृत्यु पर प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप किया है। मुझे खुशी और गर्व है कि आपकी माननीय अदालत ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आदेश दिया है और कई लोगों की जान बचाई है। मैं समझ गई हूं कि आपके माननीय न्यायालय ने हमारे देश में विशेष रूप से दिल्ली में कोविड -19 और मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूं। अब मुझे बहुत गर्व और खुशी हो रही है। उसने अपने पत्र के साथ CJI की एक ड्राइंग भी संलग्न की।
CJI ने भेजी संविधान की हस्ताक्षरित कॉपी, दिया ये जवाब
पांचवी की छात्रा के द्वारा लिखे गए इस लेटर पर CJI ने प्रतिक्रिया दी और छात्रा को संविधान की हस्ताक्षरित प्रति भेजी। CJI ने अपने जवाब में कहा कि वह इस बात से प्रभावित हैं कि कैसे लिडविना देश भर में समाचारों और घटनाओं पर नज़र रख रही है। CJI ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘जिस तरह से आपने देश में होने वाली घटनाओं पर नज़र रखी और महामारी के मद्देनजर लोगों की भलाई के लिए आपने जो चिंता दिखाई, उससे मैं वास्तव में प्रभावित हूँ।’ मुझे विश्वास है कि आप बड़े होकर एक सतर्क, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे जो राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान देंगे।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेन के बाद हुआ ये सुधार
बता दें कोरोना की दूसरी लहर में जब सैकड़ों लोग बिना इलाज के सड़कों पर दम तोड़ रहे थे, मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा था, दवाएं नहीं मिल रही थी, इलाज के नाम पर अस्पताल और दवा की कालाबाजारी करने वाले लोग मजबूर जनता से धनउगाही कर रहे थे तब सुप्रीम कोर्ट ने इन मुद्दों पर कड़ाई दिखाई। सुप्रीम कोर्ट COVID-19 मुद्दों से निपटने के लिए शुरू किए गए एक मामले में कई निर्देश दे रहा है। उच्चतम न्यायालय द्वारा COVID टीकाकरण पर पारित किए गए सबसे हालिया आदेशों के बाद, केंद्र सरकार ने अपनी टीकाकरण नीति में बदलाव किया था और 18-44 वर्ष की आयु के बीच के लोगों के लिए मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की थी।