आयकर विभाग ने महाराष्ट्र के अलीबाग में स्थित अभिनेता शाहरुख के फार्म हाउस को अटैच किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार आरोप है कि शाहरुख ने अलीबाग में खेती के लिए जमीन खरीदी थी लेकिन उसके बजाय उन्होंने वहां एक बड़ा सा फार्महाउस बना लिया. शाहरुख का ये फार्महाउस अलीबाग में 19,960 स्कायर मीटर में फैला है.
कानून के अनुसार अगर नोटिस जारी करने की तारीख से 90 दिनों तक जवाब नहीं दिया गया तो सम्पति जब्त की जा सकती है. अटैच की गई सम्पति की कीमत 146.7 करोड़ रुपये है. हालांकि एक आई-टी के अधिकारी ने कहा कि इसका बाजार मूल्य पांच गुना तक बढ़ सकता है.
इस फार्महाउस 19,960 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें स्विमिंग पूल, समुद्र तट और निजी हेलीपैड जैसी सुविधाएं हैं. शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और कोलकाता नाइट राइडर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 24 जनवरी को एक ई-मेल भेजा गया था, हालांकि कई रिमाइंडर के बावजूद उनका उत्तर नहीं मिला.
शाहरुख के खिलाफ प्रमुख आरोप यह है कि उन्होंने खेती के लिए कृषि भूमि खरीदने के लिए एक आवेदन किया था, लेकिन इसके बजाय निजी इस्तेमाल के लिए अलीबाग में एक फार्महाउस का निर्माण किया. “यह लेनदेन पीबीपीटी अधिनियम की धारा 2 (9) के अनुसार बेनामी लेनदेन की परिभाषा के अंतर्गत आता है. जहां फायदे के लिए देजा वी फर्मों ने बेनामिदार के रूप में काम किया है.जिसमे शाहरुख़ खान लाभार्थी हैं.
रिपोर्ट में यह बताया गया है कि महाराष्ट्र टेनेंसी एंड एग्रीकल्चरल लैंड एक्ट में कलेक्टर या राज्य सरकार की अनुमति के बिना गैर-किसानों को कृषि भूमि का हस्तांतरण किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजे वी को शामिल करने के पीछे का इरादा कृषि भूमि खरीदना था, जिसे वर्तमान में शाहरुख द्वारा अपने फार्महाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था.
चूंकि खान ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में इस जमीन को नहीं खरीदा था, इसलिए एक यंत्र डेजा वाउ के रूप में तैयार किया गया, जिसने अपनी गतिविधियों को खेती के रूप में दिखाया. कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ फाइलिंग का हवाला देते हुए, आई-टी ने कहा कि वर्ष 2004 में दोजे वी फर्मों श्रीनिवास पार्थसारथी और सोमशेखर सुंदरेशन को दो शेयरधारकों द्वारा शामिल किया गया.
दिसंबर 2004 में, शेयर हस्तांतरण प्रमाणपत्र शाहरुख खान और गौरी खान के नाम पर पहले शेयरधारकों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. पहले निर्देशक की जगह तीन निर्देशकों – रमेश छिबा, सविता छिबा और मोरेश्वर राजाराम अगागांवकर को उसी दिन बदल दिया गया था. इसके अलावा शाहरुख ने डीजे वी फर्मों के लिए 84.5 लाख रुपये का इनसिक्योर लोन दिया.
चूंकि यह एक कृषि भूमि थी, प्रतिनिधित्व के समय अजगांवकर ने खुद को एक कृषक के रूप में घोषित किया. तदनुसार अतिरिक्त कलेक्टर ने एक शर्त के साथ भूमि की खरीद की अनुमति दी. 2011 में नमिता छिबा को अजगांवकर की जगह डीजे वायू के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया.
आई-टी जांच ने कहा कि आज तक कंपनी ने कृषि गतिविधि से कोई आय नहीं दिखाई है. जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि शाहरुख के सभी असुरक्षित कर्ज का इस्तेमाल डेजा वायू द्वारा जमीन की खरीद के लिए किया जा रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि रमेश चिब्बा, सविता चिब्बा और नमिता चिब्बा क्रमशः शाहरुख खान के ससुर, सास और भाभी हैं.