देश आज 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस मौके पर राजपथ पर परेड निकाली जाएगी, तीनों सेनाएं परेड में अपना जौहर दिखाएंगीं. इस बार गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आसियान देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह ही देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं.
इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वायुसेना के शहीद गरुड़ कमांडो जेपी निराला को शांतिकाल के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया. शहीद गरुड़ कमांडो जेपी निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया. उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त किया. पुरस्कार देते वक्त राष्ट्रपति कोविंद भावुक भी हो गए.
आपको बता दें निराला ने जम्मू-कश्मीर के हाजीन इलाके में पिछले साल नवंबर में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में अकेले ही 2-3 आतंकियों को मार गिराया था।
उस एनकाउंटर में छह आतंकियों को सेना के जवानों ने मार गिराया था। उनमें से एक लश्कर-ए-तैयबा चीफ जकी-उर-रहमान लखवी का भतीजा भी था। गणतंत्र दिवस पर सम्मानित होनेवालों की सूची फिलहाल आधिकारिक तौर पर जारी नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को यह जानकारी मिली है।
निराला जिस वक्त देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए, उनकी उम्र सिर्फ 31 साल थी। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले निराला वायु सेना + के पहले एयरमैन हैं, जिन्हें ग्राउंड ऑपरेशन के लिए मरणोपरांत यह सम्मान दिया जाएगा। अपने पीछे परिवार में बेटी और विधवा को छोड़ गए हैं। इसके साथ ही उनकी 3 अविवाहित बहनें और बू़ढ़े मां-बाप भी परिवार में हैं।
निराला ने अकेले तीन आतंकियों को किया था ढेर
सुरक्षा बलों को कश्मीर के हाजिन इलाके के चंदरगीर गांव में आतंकियों के होने की खुफिया सूचना मिली थी। सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने वहां घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया। तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों से मुठभेड़ शुरू हो गई। आतंकियों से मुकाबला करते हुए जेपी निराला अपनी मशीनगन से आतंकियों पर कहर बनकर टूट पड़े और तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि इस गोलीबारी में निराला को भी गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 6 आतंकियों को ढेर कर दिया गया था। निराला की इसी अदम्य वीरता के लिए ही मरणोपरांत उन्हें शांतिकाल का सर्वोच्च सम्मान दिया जाएगा।
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखोन को 1971 के युद्ध में अद्भुत साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया था। स्कवॉड्रन लीडर राकेश शर्मा को भी 1984 में अशोक चक्र दिया गया था।