हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पंचायती राज संस्थानों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अधिकारियों के ढुलमुल रवैये पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को सभी सरकारी कार्यालयों में जवाबदेही बढ़ाने के लिए यह आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान ने एक याचिका पर सुनवाई की। जिसमें उन्होंने राज्य सरकार को न केवल पंचायतों में, बल्कि राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में कार्य प्रणाली में सुधार करने के लिए डिजिटल उपस्थिति प्रणाली लगाने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश ने मुख्य सचिव वी.सी. पारेख को पंचायती राज विभाग में उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अन्य विभागों के संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाने को कहा।
सरकारी कर्मचारियों खासकर दूर-दराज के इलाकों में कार्यरत सभी सरकारी कर्मचारियों की समय पर कार्यालयों में उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस संबंध में मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। अदालत ने इससे पहले इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
अदालत ने कहा, “सचिव, तकनीकी सहायक और अन्य को केवल एक पंचायत को नहीं देखना होता है। इसलिए सभी कार्य दिवस पर सभी पंचायतों में उपस्थित रहना संभव नहीं है। ऐसे में प्रतिवादी को एक पंचायत में एक समय तय करना चाहिए, जहां यह अधिकारी उपस्थिति हो।”
न्यायमूर्ति चौहान ने कहा कि सरकार को खासकर संचार तकनीक का भी फायदा उठाना चाहिए। जमीनी स्तर पर कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए मोबाइल एप भी लांच करना चाहिए।