दिल्ली हाई कोर्ट में एक वकील की याचिका में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा है कि मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों के पास पीने के लिए मुफ्त पानी मिलने का अधिकार नहीं है।
वकील की इस जनहित याचिका में कहा गया था कि मेट्रो यात्रियों को पीने का पानी, शौचालय व कूड़ेदान आदि की मुफ्त सुविधा मिलनी चाहिए। अदालत का यह फैसला मेट्रो के एफिडेविट दाखिल करने के बाद आया। इसमें कहा गया है कि पानी के लिए मेट्रो स्टेशनों पर 128 वॉटर कियोस्क और 200 से ज्यादा दुकानें हैं। इन दुकानों से पैसे देकर पानी खरीदा जा सकता है। यहां पर 250 ml के लिए 2 रुपए और एक लीटर के लिए 5 रुपए चुकाना पड़ता है।
वहीं डस्टबिन के सवाल पर कॉर्पोरेशन ने बताया कि पहले सुविधा को ध्यान में रखते हुए कहीं पर भी डस्टबिन नहीं लगाए गए थे, लेकिन अब ट्रांसपैरेंट बिन को स्टेशनों पर इंस्टॉल करने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है।
जस्टिस विभु बख्रू ने कहा कि याचिकाकर्ता को पीने के पानी का हक है, लेकिन मुफ्त पीने के पानी का कोई अधिकार नहीं। टॉइलट की सुविधा पर DMRC ने कहा कि यह 130 स्टेशनों पर उपलब्ध है।