दीपाली श्रीवास्तव
गुजरात विधानसभा चुनाव के ऐन पहले जारी हुई पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की सेक्स सीडी से सियासी गलियारों में हलचल मच गयी है. आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है. एक के बाद एक अब तक हार्दिक के चार सेक्स वीडियो इन्टरनेट पर वायरल हो चुके हैं. हालांकि हार्दिक पटेल ने इस सीडी को फेक करार देते हुए इसे बीजेपी की गन्दी पॉलिटिक्स का हिस्सा बताया है. लेकिन ये बात तो तय है कि हार्दिक की राजनीतिक छवि पर इन वीडियोज़ का कुछ तो असर पड़ेगा ही. हो सकता है कि जिस पाटीदार समाज के लिए वो आन्दोलन करते आ रहे हैं, आरक्षण की मांग कर रहे हैं, उसी समाज के घरों में उनका ‘हार्दिक’ स्वागत ना हो. महिलाएं उनके आन्दोलन से जुड़ने में कतराएं.
वैसे सेक्स सीडी हमेशा से विरोधियों का हथियार रही है. ये सांप सीढ़ी के उस सांप की तरह काम करती है जो 99वें खाने पर बैठा अपनी जीभ लपलपाता रहता है और एक पल में जीत के करीब व्यक्ति को सीधे दूसरे खाने में लाकर पटक देता है. इतिहास गवाह है कि सेक्स सीडी की वजह से कितने ही नेताओं के राजनीतिक करियर का ‘द एंड’ हो गया. AAP नेता संदीप कुमार से लेकर कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी, BJP नेता राघवजी, कांग्रेसी नेता महिपाल मदेरणा, BJP नेता ध्रुव नारायण सिंह, संजय जोशी सभी की राजनीतिक यात्रा पर एक सीडी ने पूर्णविराम लगा दिया.
संजय जोशी के मामले में तो यह सिद्ध भी हो गया था कि सीडी नकली है और पुलिस ने उनको क्लीन चिट भी दे दी थी लेकिन बीजेपी में दोबारा उनकी वापसी संभव नहीं हो सकी.
भारतीय समाज में सेक्स को टैबू माना जाता है. भारतीय समाज में सेक्स ‘अपवित्र’ है. ‘गन्दा’ है. यहाँ पर खुले आम सेक्स पर चर्चा की तो ‘लोग’ आपको घूरने लगेंगे. वही ‘लोग’ जिनके दिमाग में चौबीसों घंटे सेक्स रहता है. जिनकी नज़रें औरत के कपड़े चीरती हुईं उसके देह का विश्लेषण करती रहती हैं. इन्हीं लोगों को दो लोगों का आपसी सहमति से बंद कमरे के भीतर सेक्स गवारा नहीं होता. लोगों की इसी मानसिकता का फायदा उठा कर राजनीतिक दल अपने विरोधी को चित करने के इरादे से सीडी रूपी ब्रह्मास्त्र लेकर आते हैं और उसको चारों खाने चित्त कर देते हैं.
अब सवाल ये उठता है कि अगर दूसरे पक्ष ने किसी भी तरह के यौन शोषण की शिकायत नहीं की है तो इस तरह की सीडी पर चर्चा कितनी जायज़ है? ये तो किसी व्यक्ति की निजता का हनन है. गुजरात के युवाओं ने इस बात को समझा है और वे खुलकर यह बोलते-चर्चा करते दिख रहे हैं कि सेक्स करना, सेक्स पर बात करना और किसी से सहमति के साथ संबंध होना कोई अपराध नहीं है। इस सम्बन्ध में सोशल मीडिया पर खुलकर उनकी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
गुजरात में दलित नेता जिगनेश मेवानी ने हार्दिक पटेल को सपोर्ट करते हुए ट्वीट किया , “हार्दिक तुम डरो नहीं, हम तुम्हारे साथ है। सेक्स एक मौलिक अधिकार है”
वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय हेगड़े ने भी ट्वीट किया कि, “इसमें गलत क्या है अगर हार्दिक ऐसा कुछ करते हैं? बीजेपी नेताओं में किसकी कमी है, सहमति या सेक्स?”
सिर्फ जिग्नेश और करुणा नंदी ही नहीं, सहमति के साथ संबंधों के पक्ष में बोलने वालों की तादाद गुजरात में अच्छी खासी है। युवा सामने आ रहे हैं और खुलकर इसपर अपनी राय रख रहे हैं. इसे भारतीय राजनीति और समाज में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट के तौर पर देखा जा सकता है। साफ़ दिख रहा है कि सेक्स को लेकर भारतीय समाज में जो बुरी धारणाएं बुनी गयीं हैं, युवा उनसे बाहर आने की कोशिश कर रहा है. हार्दिक की सेक्स सीडी से यहाँ कुछ अच्छा होता दिख रहा है. सर्फ एक्सेल के विज्ञापन की टैग लाइन तो आपने सुनी ही होगी, ‘दाग लगने से अगर कुछ अच्छा होता है तो दाग अच्छे है’