सुहागिनों के लिए सबसे उत्तम व्रत है हरितालिका तीज। इस दिन शिव-पार्वती की संयुक्त उपासना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए आज हम आपको इस दिव्य व्रत से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे, ताकि आप भी महादेव और मां पार्वती को प्रसन्न करके अमर सुहाग का वरदान पा सकें।
हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसलिए हर स्त्री के लिए ये व्रत विशेष लाभकारी माना गया है। आज हम आपको इस सौभाग्य बढ़ाने वाले व्रत से जुड़ी हर वो बात बताएंगे, जिसे जानने से आपका व्रत और भी शुभ और फलदाई हो जाएगा।
हरतालिका तीज का महत्व-
– इस व्रत को हरितालिका तीज भी कहते हैं और हरतालिका तीज भी कहते है।
– इस व्रत का संबंध भगवान शिव से है।
– ‘हर’ शिव का नाम है, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज ज्यादा उपयुक्त माना गया है।
– हरतालिका तीज का पर्व भाद्रपद शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती हैं।
– मुख्य रूप से ये पर्व मनचाहे और योग्य पति की कामना के लिए रखा जाता है। हालांकि कोई भी स्त्री इस व्रत को रख सकती है।
– इस बार हरितालिका तीज 24 अगस्त यानि की आज मनाई जायेगी।
इस व्रत को लेकर मान्यता ये भी है कि भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने वर्षों तक जंगल में घोर तपस्या की थी। बिना जल और बिना आहार के तप करने के बाद उन्हें भगवान शिव ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसीलिए हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निष्ठा और तपस्या को विशेष महत्व देती हैं।
क्या है इस व्रत की उत्तम विधि और कैसे प्राप्त होता है इस व्रत का पूर्ण फल-
– सुबह संकल्प लेकर निर्जला उपवास रखना चाहिए। मगर सेहत ठीक न हो तो फलाहार पर भी व्रत रखा जा सकता है।
– शाम को भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त उपासना करें, ध्यान रहे कि पूजन के समय स्त्रियों को संपूर्ण श्रंगार में रहना चाहिए।
– इसके बाद मां पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें और उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
– विवाहित स्त्रियों को इस दिन अपनी सास को सुहाग की वस्तुएं देकर उनसे आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
– भगवान शिव और मां पार्वती की संयुक्त उपासना करने के बाद ही इस व्रत का पारायण करें।
– हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण करना विशेष शुभकारी माना जाता है।