सरकार ने मंगलवार को कहा है कि उसने नियमों का अनुपालन नहीं करने वाली 2.09 लाख कंपनियों रजिस्ट्रेशन समाप्त कर दिया है और इन कंपनियों के बैंक खातों से लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने की कारवाई शुरू कर दी गई है।
शेल यानी मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखते हुए सरकार ने कहा है कि जिन कंपनियों के नाम रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रजिस्टर से हटा दिए गए हैं, वे जब तक नियम और शर्तों को पूरा नहीं कर लेती हैं और नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल द्वारा उनको वैध नहीं ठहरा दिया जाता है, तब तक उनके निदेशक कंपनी के बैंक खातों से लेनदेन नहीं कर पाएंगे।
संदेह है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल कथित तौर पर अवैध धन के लेन-देन और कर चोरी के लिये किया जाता रहा था। सरकारी बयान के मुताबिक, ‘कंपनी कानून की धारा 248-5 के तहत 2,09,032 कंपनियों के नाम कंपनी आरओसी के रजिस्टर से काट दिये गये हैं। रजिस्टर से जिन कंपनियों के नाम काट दिये गये हैं, उनके निदेशक और प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (ऑथराइज्ड साइनेटरी) अब इन कंपनियों के पूर्व निदेशक और पूर्व प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता बन जाएंगे। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी कानून की जिस धारा 248 का इस्तेमाल किया है, उसके अंतर्गत सरकार को विभिन्न कारणों के चलते कंपनियों के नाम रजिस्टर से काटने का अधिकार दिया गया है। इनमें एक वजह यह भी है कि ये कंपनियां लंबे समय तक कामकाज नहीं कर रहीं हैं।
सरकार द्वारा जारी किये गए बयान में कहा गया है कि जब भी कंपनियों की पुरानी स्थिति बहाल होगी, उसे रिकॉर्ड में दिखा दिया जायेगा और इन कंपनियों की स्थिति को ‘निरस्त’ कंपनियों से हटाकर ‘सक्रिय’ कंपनियों की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि रजिस्टर से नाम काटे जाने के अलावा इन कंपनियों का अस्तित्व समाप्त हो गया और ऐसे में इन कंपनियों के बैंक खातों से लेनदेन को रोकने के लिये भी कदम उठाये गए हैं। वित्तीय सेवाओं के विभाग ने भारतीय बैंक संघ के जरिये बैंकों को सलाह दी है कि वह ऐसी कंपनियों के बैंक खातों से लेनदेन को रोकने के लिये तुरंत ठोस कदम उठाएं।
बयान में कहा गया है कि, ‘इन कंपनियों के नाम काटने के साथ ही बैंकों को भी यह सलाह दी गई है कि वह किसी भी कंपनी के साथ लेनदेन करते हुये सामान्यत: ज्यादा होशियारी बरतें। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर बेशक किसी कंपनी को ‘सक्रिय’ बताया गया है, मगर यदि वह अन्य बातों के साथ-साथ अपनी वित्तीय जानकारी और सालाना रिटर्न को सही समय पर दाखिल नहीं करती है, तो ऐसी कंपनी को प्रथम दृष्टया संदेहास्पद कंपनी की नजर से देखा जा सकता है।