नई दिल्ली: गीताजंलि जेम्स के पूर्व एमडी ने दावा किया है कि मेहुल चौकसी ने अधिक मूल्य और जाली हीरे बेचे हैं। पूर्व एमडी श्रीवास्तव ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने नकली हीरों को असली हीरों के रूप में बेचा। मेहुल चौकसी की गीताजंलि जेम्स ने पंजाब नेशनल बैंक द्वारा जारी किए गए नकली लैटर आॅफ अंडरटेकिंग (LOU) बनाए हैं।
नकली हीरों को असली बताकर उपभोक्ताओं को बेचा
इन आरोपों के बाद अब एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने अपने हीरों की गुणवत्ता के बारे में झूठ बोला और नकली हीरों को असली बताकर पेश किया। कंपनी के पूर्व एमडी संतोष श्रीवास्तव के अनुसार चौकसी द्वारा बेचे गए भारी संख्या में हीरे लैब में बनाए गए।जिसका कोई भी मूल्य नही, उसने उपभोक्ताओं को भारी कीमत पर बेचा।
C ग्रेड के हीरे को A ग्रेड की दर पर बेचा गया
श्रीवास्तव ने एक एजेंसी को बताया कि ये हीरे ब्रॉंड वेल्यू और प्रमाणपत्र के नाम पर प्रीमियम की दर पर बेचे गए। प्रमाणपत्र भी जाली थेे। खरीददारी में जो हीरा ग्रेड ए का दावा किया गया वह वास्तव में सी ग्रेड का था। वह 2013 तक गीताजंलि रिटेल कारोबार का प्रमुख था। श्रीवास्तव के आरोपों से गीतांजलि के उपभोक्ताओं की रात की नींद हराम हो सकती है।
श्रीवास्तव के अनुसार गीताजंलि में बेचे गए हीरे के लिए चार्ज किया गया प्रीमियम बहुत अधिक था। लैब में बनाए गए हीरे के लिए चार्ज किया गया प्रीमियम बहुत अधिक था। लैब में बनाए गए हीरे की वैल्यू उसकी विक्री के मूल्य की तुलना में केवल 5-10 प्रतिशत थी। एजेंसी के अधिकारी गीताजंलि जेम्स के अधिकारियों तक पहुंचे, मगर कंपनी ने इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया।
श्रीवास्तव ने 6 साल चौकसी की कंपनी में वॉइस प्रेजिडेंट के रूप में काम किया
श्रीवास्तव मुम्बई का रहने वाला है और उसने IIT (BHU)से मैटालिजिकल की है। उसने 2007 से 2013 तक तक चौकसी के साथ काम किया है। श्रीवास्तव ने चौकसी की कंपनी में वॉइस प्रेजिडेंट के रूप में काम किया था और संगठन में तेजी से आगे बढ़े।
2008 में उन्हें कंपनी का प्रेजिडेंट बनाया गया। 2009 में उनको रिटेल बिजनेस का एमडी नियुक्त किया गया। उस समय तक श्रीवास्तव के लिए सबकुछ अच्छा चल रहा था, मगर जब कंपनी में उन्होंने फ्रॉड की शिकायतें कीं तो परेशान हो गए। श्रीवास्तव ने कहा कि चौकसी के साथ जो शिकायतें की गई थी उनमें फ्रैंचाइजी मालिकों के साथ समझौतों से पीछे हटना,अकांउट की किताबों में गलत एंट्रियाँ लिखना और उपभोक्ताओं को अधिक मूल्य पर उत्पाद बेचना और बाद में ये फ्रेंचाइजी को बेचना भी शामिल था।
शिकायत करने पर श्रीवास्तव को मिलने लगी धमकियां
श्रीवास्तव को शिकायतें करने पर धमकियां मिलनी शुरू हो गई, आप अपने काम पर ध्यान रखें,ये सब चौकसी के कहने पर उनसे कहा गया। ऐसी परिस्थितियों में श्रीवास्तव के लिए काम करना मुश्किल हो गया और 2013 में वह चौकसी से अलग हो गए। इस्तीफा देने के 5 महीने बाद ही कंपनी के प्रबंधों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराई गई जालसाजी और धमकी देने के मामले में स्थानीय पुलिस ने तलब किया। श्रीवास्तव इससे घबराए नहींं।
श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे छोड़ने के शीघ्र बाद फ्रैंचाइजी ने चौकसी के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराना शुरू कर दिया था, और मुझसे कहा कि फ्रैंचाइजी के खिलाफ मेरी मदद करो। जब मैंने ऐसा करने से मना करने से मना कर दिया तो मुझे धमकी दी गई कि आपको ऐसे केसों में घसीटा जाएगा कि आप कभी भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। चौकसी ने अपनी धमकी पर अमल किया और पुलिस ने मुझे बुलाया।
श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे मामले को आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया। जब जांच में मुझे बेकसूर पाया गया तो कुछ ही दिनों में मुझे पुलिस हिरासत से छोड़ा गया। श्रीवास्तव द्वारा गीताजंलि में अपने कार्यकाल के दौरान उपलब्ध कराए गए नंबरों के अनुसार ब्रांड के रूप में 5 हजार करोड़ के जेवर बेचे गए। ये स्पष्ट नहीं हो सका कि कितने नकली बेचे गए।