एसबीआई की स्टडी रिपोर्ट इकोरेप में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि देश की जीडीपी वृद्धि में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गिरावट क्षणिक नहीं बल्कि संरचनात्मक है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसकी पीछे तकनीकी कारणों को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है। इससे काला धन सरकारी तंत्र में आया है, जिसका इस्तेमाल लोगों के फायदे के लिए किया जा रहा है। बता दें कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर अप्रैल-जून की तिमाही में 3 साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई।
अमित शाह ने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि नोटबंदी के कारण औपचारिक अर्थव्यवस्था बढ़ी है। इधर-उधर पड़ा पैसा अब अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। इनकम टैक्स जमा कराने वालों की संख्या पिछले तीन साल में 3.7 करोड़ से बढ़कर 6.4 करोड़ हो गई है और 30 करोड़ नए बैंक खाते खुले हैं, जिसने औपचारिक अर्थव्यवस्था में हर किसी को जोड़कर इसे विस्तृत किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि जीएसटी से पहले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में डीस्टॉकिंग और इसके जीडीपी पर असर को लेकर खूब चर्चा हो रही थी, लेकिन उपभोक्ता और निवेश केंद्रित क्षेत्रों में तो डीस्टॉकिंग 2016-17 में पहले ही जोर पकड़ रही थी। इसमें कहा गया है कि 2016 17 में पहले ही नरमी थी, जिसमें कंपनियों ने अपने मौजूदा भंडार को निकालने पर जोर दिया। 2016-17 में सामान्य नरमी और अनिश्चित महौल से निवेश केंद्रित क्षेत्रों पर अधिक असर पड़ा। रिपोर्ट में 1695 सूचीबद्ध फर्मों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
इसमें कहा गया है कि वहीं उपभोक्ता केंद्रित क्षेत्र नोटबंदी के कारण प्रभावित हुए। इसके अनुसार विभिन्न तथ्यों को मिलाकर देखा जाए तो जीडीपी वृद्धि के आने वाली तिमाहियों में पटरी पर लौटने की उम्मीद नहीं है, बल्कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही वृद्धि पटरी पर आ सकती है।