आज गणेश चतुर्थी है आपके घर में गौरी पुत्र गणेश अगले दस दिनों तक मेहमान बनकर रहने वाले हैं। आज से गणेश महोत्सव का आज से शुभ आरंभ हो रहा हैं। आप को बताते है की गणेश चतुर्थी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है। आपको इस दिव्य उत्सव का शुभ-लाभ कैसे मिल सकता हैं। गणपति के आगमन की दिव्य तिथि की महिमा क्या है और कब पधारने वाले हैं विघ्नहर्ता।
गणेश चतुर्थी की महिमा
भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन प्रथम पूज्य श्री गणेश का प्राकट्य हुआ था।
ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
अनंत चतुर्दशी तक गणेश चतुर्थी की पूजा चलती है विघ्नहर्ता इस दौरान धरती पर ही निवास करते हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व इस बार 25 अगस्त से 05 सितम्बर तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी पर इस बार गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.00 से 01.30 तक होगा।
हर साल गणेश चतुर्थी पर भक्तों के साथ विघ्नहर्ता रहकर उनके सुख-दुख का हिस्सा बनते हैं। ऐसी मान्यता है कि विघ्नहर्ता इस दौरान अपने भक्तों के सभी दुख और परेशानियों का अंत कर देते हैं। इसके लिए आप को विघ्नहर्ता को प्रसन्न करना जरूरी हैं। हम आपको गणेश चतुर्थी पर गणपति पूजन की विशेष विधि बताते हैं। अगर आप इस विधि से पूजन करेंगे तो निश्चित ही प्रसन्न हो जाएंगे विघ्नहर्ता।
गणेश चतुर्थी पर आप कैसे करें गणपति की पूजा
गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें और साथ में कलश भी स्थापित करें।
पीले रंग का वस्त्र लकड़ी की चौकी पर बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें।
आप गणेश जी की स्थापना करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें – ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
आप दिन भर जलीय आहार ग्रहण करें या केवल फलाहार करें।
आप शाम के समय गणेश जी की यथा शक्ति पूजा-उपासना करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं।
आप गणपति को अपनी उम्र की संख्या के बराबर लड्डुओं का भोग लगाएं और साथ ही उन्हें दूब भी अर्पित करें।
आप अपनी इच्छा के अनुसार गणपति के मन्त्रों का जाप करें।
आप चन्द्रमा को नीची दृष्टि से अर्घ्य दें आज चंद्र दर्शन से आपको अपयश मिल सकता है।
आप को अगर चन्द्र दर्शन हो ही गया है तो उसके दोष का तुरंत उपचार कर लें।
आप पूजा के अंत में प्रसाद बांटें और अन्न-वस्त्र का दान करें।