1757 के प्लासी युद्ध के बाद ये साफ हो गया था कि अब सोने की चिड़िया के नाम से मशहूर भारत पर अंग्रेजों की नजर लग गई है। मुगल बादशाह, नवाब और राजा ये सबकुछ अपनी आंखों के सामने देख रहे थे, मगर संगठित होकर अंग्रेजों का प्रतिरोध नहीं कर सके। भारतीय शासक आपस में उलझे रहे और एक ऐसी सत्ता भारत पर काबिज हुई। जिसका गंगा जमुनी तहजीब से खास नाता स्थापित नहीं हो सका। अंग्रेज व्यापारी और शासक भारत का शोषण करते रहे। अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर विरोध के सुर फूटे, 1857 का विद्रोह उनमें से एक था। मगर एक बात ये भी सच है कि आम भारतीयों में अंग्रेजों के शक्तिशाली होने का मिथक टूट गया।
लोकसभा में बुधवार को एक ऐतिहासिक नजारा देखा गया है। मौका था भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने का। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आजादी के वीर सिपाहियों को याद किया और उनके संघर्ष से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। मगर ये मौका मोदी और सोनिया के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से नहीं बच सका। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की विचारधाराओं पर जमकर निशाना साधा। ये पहला मौका था जब संसद में मोदी और सोनिया इस तरह आमने-सामने थे और दोनों ने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दोनों बड़े नेताओं के बीच एजेंडों की लड़ाई साफ दिखाई दी। जब पीएम मोदी बोलने के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने कहा कि ‘ये मौका महापुरुषों के बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का है। नए भारत के लिए ये बहुत ही महत्वपूर्ण है।’ इसके बाद पीएम मोदी ने जीएसटी को जहां अपनी सरकार की उपलब्धि बताया, वहीं विपक्ष को घेरने के लिए भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। इसके बाद जब सोनिया गांधी बोलने के लिए उठीं, तो उन्होंने ‘बोलने की आजादी’ का मुद्दा उठाकर असहिष्णुता के मुद्दे को फिर उछाला। सोनिया गांधी ने कहा- ‘आज भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने पर लोगों के मन में आशंका है कि क्या देश में बोलने की आज़ादी को रोका जा रहा है। नफरत और विभाजन की राजनीति हावी हो रही है। कई बार कानून के राज पर भी गैर कानूनी शक्तियां हावी हो रही हैं। हमें हर तरह की दमनकारी शक्ति से लड़ना है।’
दोनों नेताओं के बीच देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन के प्रतीकों को लेकर भी भिड़ंत देखने को मिली। पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के योगदान का जिक्र किया, तो सोनिया ने बार-बार आजादी के आंदोलन में नेहरू और कांग्रेस का जिक्र किया। यहां तक कि सोनिया गांधी ने संघ का नाम लिए बिना तंज कसा कि आजादी के आंदोलन का कुछ नेताओं और संगठनों ने विरोध तक किया था। वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने महात्मा गांधी, डांडी मार्च, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक के योदगान का भी जिक्र किया, मगर नेहरू का नाम नहीं लिया।
दोनों नेताओं के बीच नारों की जंग भी दिखाई दी। PM मोदी ने कहा कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है, राजनीति से बड़ी राष्ट्रनीति होती है। भ्रष्टाचार के दीमक ने देश को तबाह कर दिया था, हमें इस स्थिति को बदलना होगा। हमारे सामने गरीबी, कुपोषण और शिक्षा की चुनौती है। ये सिर्फ सरकार की नहीं देश की भी चुनौती है। मोदी ने कहा- गांधी ने नारा दिया था ‘करेंगे या मरेंगे’। हम सब मिल करके तय करें- ‘भ्रष्टाचार दूर करेंगे, दूर करके रहेंगे। गरीबी दूर करेंगे, दूर करके रहेंगे। नौजवानों को रोजगार से जोड़ेंगे। देश को कुपोषण से मुक्त करेंगे, करके रहेंगे। महिलाओं को आगे बढ़ने वाली बेड़ियों से मुक्त करेंगे और करके रहेंगे।’ वहीं सोनिया गांधी ने कहा- ‘यदि हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है, तो हमें हर दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा, चाहे वो कितनी भी सक्षम क्यों न हो। हमें उस भारत के लिए लड़ना है, जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं, जिसमें भारत में हर कोई आजाद है जिसकी आजादी निर्विवाद है।’