उत्तर-पश्चिम म्यांमार का एक हिस्से में शुक्रवार को आठ गांव जलकर खाक हो गए। इन गांवों में हिंसा से बचने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों ने शरण भी ली हुई थी। आगजनी की यह घटना राथेडांग कस्बे में हुई। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इन गांवों में आग किसने लगाई।
प्रत्यक्षदर्शियों और सूत्रों का कहना है कि इस आग में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के शिविर भी जल गए। इलाके में रखाइन बौद्ध और रोहिंग्या मुस्लिम आबादी साथ-साथ रहती है।
रोहिंग्याओं का कहना है कि सेना और रखाइन मिलकर मुस्लिम आबादी को बाहर निकालने के लिए अभियान चला रहे हैं। वहीँ, म्यांमार का कहना है कि उसके सुरक्षा बल चरमपंथी आतंकियों का सफाया करने का अभियान चला रहे हैं।
पिछले दो हफ्तों में करीब 2,70,000 रोहिंग्या पहले ही पलायन कर चुके हैं। गांववासी अब घने जंगलों में छिप रहे हैं या फिर वे मानसूनी बारिश के बीच दिनभर पैदल चलकर मोंगडॉ क्षेत्र या पश्चिम में उससे भी आगे नफ नदी की ओर जा रहे हैं। यह नदी म्यांमार को बांग्लादेश से अलग करती है।
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता के.एन गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। यह याचिका रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर है। याचिका में कहा गया है कि रोहिंग्या मुसलमान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
रोहिंग्या मुसलमान राष्ट्रीय संसाधन पर बोझ के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा भी हैं। के एन गोविंदाचार्य ने उस याचिका का विरोध किया है जिसमें भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। गोविंदाचार्य ने कहा कि देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान की पहचान कर इन्हें वापस भेज दिया जाए।