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दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग पहुँच गया था। दरअसल पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद जिस तरह से सबसे पहले मायावती ने वोटिंग मशीन में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था, अब करीब-करीब बाकी पार्टियां भी इस मु्‌द्दे को उठा रही हैं। दरअसल मध्य प्रदेश में डेमो के दौरान VVPAT वाली वोटिंग मशीन में दो बटन दबाए गए और निकली एक ही पार्टी के चुनाव चिन्ह की पर्ची। इसी शिकायत के साथ ये दोनों दल चुनाव आयोग पहुंचे।

दरअसल मामला मध्यप्रदेश के भिंड का है। अटेर विधानसभा उपचुनाव के मद्देनज़र VVPAT (Voter-verifiable paper audit trai) वाली वोटिंग मशीन का ट्रायल हो रहा था। VVPAT वाली मशीन में वोट डालते हुए एक पर्ची निकलती है, जिससे पता चलता है कि आपने किस पार्टी को वोट दिया है। डेमो के दौरान दो अलग-अलग बटन दबाए गए, मगर दोनों ही बार कमल के फूल की पर्ची ही निकली। जब वहां मौजूद मीडिया ने इस पर सवाल उठाया तो मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने ग़लती मानने की बज़ाय मीडिया को ही थाने में बिठाने की मज़ाक वाले अंदाज़ में धमकी दे डाली। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने ज़िला चुनाव अधिकारी से रिपोर्ट भी मांगी है। इस पूरे मामले को देखते हुए है, आज कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है। हो सकता है आज शाम 6 बजे तक चुनाव आयोग इस पूरे मामले पर अपना जवाब दे दे।

उधर, चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के भिंड में जिला निर्वाचन अधिकारियों से मीडिया में आ रहीं उन रिपोर्टों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिनमें कहा जा रहा है कि एक अभ्‍यास कार्यक्रम के दौरान वीवीपीएटी से केवल भाजपा के निशान वाली पर्चियां ही निकल रही थीं। भिंड में अगले सप्ताह उपचुनाव होना है और यह अभ्‍यास के लिए किया जा रहा था।

आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा,”हमने जिला निर्वाचन अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और शाम तक हम इस संबंध में जवाब देंगे।” वीवीपीएटी एक ऐसी मशीन होती है, जिससे निकली पर्ची यह दिखाती है कि मतदाता ने किस पार्टी को वोट दिया है। मतदाता केवल सात सेकंड तक इस पर्ची को देख सकता है। इसके बाद यह एक डिब्बे में गिर जाती है और मतदाता इसे अपने साथ नहीं ले जा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अभ्‍यास के दौरान चाहे जो भी बटन दबाया गया हो, उससे निकली सारी पचिर्यां यह दिखा रही थीं कि वोट भाजपा को ही गया है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश की मुख्य चुनाव अधिकारी सलीना सिंह ने पत्रकारों को समाचार पत्रों में यह न्यूज न दें वरना उन्हें पुलिस थाने में हिरासत में रखा जाएगा यह कहते देखा गया था।