नई दिल्ली : भारत में आज कल टीवी चैनेल्स की सुनामी आ गयी है। जिसमें दर्शक की रोचकता कहीं दूर बह गयी है। पर टीवी इतिहास का सबसे पहला चैनल जिसने लोगों को अपना मुरीद बना दिया था आज भी दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने में सफल हो रहा है। जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं टीवी के सबसे पहले ,सबसे फेवरेट चैनल ‘दूरदर्शन’ की जिसके कामयाबी के शानदार सफर को आज 57 साल पूरे हो गए हैं।15 सितम्बर 1959 के दिन शुरू हुआ ये टीवी चैनल आज साल 2017 में भी बड़े-बड़े दिग्गज टीवी चैनेल्स को कड़ी टक्कर देता नज़र आ रहा है। साल 1959 में जब इसकी शुरुआत हुई थी तब ये हफ्ते में मात्र 3 दिन ही आता था। जिसमें सिर्फ आधे-आधे घंटे के लिए ही कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे। पर जैसे-जैसे इसकी पॉपुलरटी बढ़ी इसका दायरा भी बढ़ा दिया गया। लॉन्च होने के 6 सालों के बाद साल 1965 में इस चैनल पर हफ्ते भर कार्यक्रम प्रसारित किये जाने लगे।दूरदर्शन पर पहला शो ”कृषि दर्शन” 26 जनवरी 1967 को प्रसारित किया गया था और किसान भाइयों का पसंदीदा ये शो इंडियन टीवी के इतिहास का सबसे ज्यादा समय तक प्रसारित होने वाला शो है।दूरदर्शन पर उसके बाद कई सीरियल्स लांच किये गये थे । व्योमकेश बक्शी , हम लोग, तहक़ीक़ात ,बुनियाद ,नुक्कड़ ,मुंगेरी लाल के सपने, देख भाई देख, चित्रहार आदि कई सीरियल थे जिसे दर्शकों का असीम प्यार मिला था।शुरुआत में दूरदर्शन का नाम ”टेलीविजन इंडिया” ही रखा गया था। पर साल 1975 आते-आते इसे बदल कर ”दूरदर्शन” के नाम से सजा दिया गया। नाम बदलने के साथ ही इसी वर्ष इस चैनल में पहली बार न्यूज़ बुलेटिन की शुरुआत हुई ।इसके बाद साल 1982 में टीवी की ब्लैक एंड वाइट दुनिया रंगीन हो गयी थी। दूरदर्शन के प्रति बढ़ती दर्शकों की रुचि को देखते हुए चैनल के निर्माताओं ने कुछ नए शोज़ को भी प्रसारित करने का फैसला किया। चैनल के इस फैसले ने आगे जाकर टीवी इतिहास को तीन सबसे बड़े शोज़ दिए जिसकी यादें आज 30 सालों बाद भी लोगो के ज़हन में ताज़ा हैं।साल 1986 में दूरदर्शन में प्रसारित की गयी ”रामानंद सागर की रामायण” और उसके बाद आया सीरियल ”महाभारत” ने लोगो को पागल बना दिया था। आलम ये हो गया था कि जिस वक़्त रामायण या महाभारत दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था उस वक़्त पूरे देश में मानों एक साथ कर्फ्यू लग जाता था। देश के हर घर में सिर्फ एक ही नज़ारा देखने को मिलता था और वो था एक छोटे से कमरे में रखे डब्बेनुमा टीवी को कौतुहल भरी नज़रों से देखती दर्जनों से भी ज़्यादा नज़रें।पापा ऑफिस से जल्दी आ जाते थे,मम्मी की का खाना उस रोज़ थोड़ा देर से ही बनता था ,जो बात दादी को नागवार गुजरती थी पर रामायण में साक्षात राम-सीता के दर्शन के चक्कर में दादी मम्मी से ज्यादा टीवी पर ही फोकस करना ज़्यादा ज़रूरी समझती थी।
उन सीरियल्स का हमारी निजी ज़िन्दगी में इतना अधिक प्रभाव पड़ा था कि बरसों तक तो हम उन कलाकारों को ही भगवान मानने लगे थे। वो दौर आज के जैसा नहीं था कि रिपीट शो यूटूयूब पर देखा जाये। उस समय जिस घर में अगर एक दिन का भी एपिसोड मिस हो गया तो मानों उस दिन उस घर में शोक सभा ही आयोजित कर दी जाती थी। इसके बाद आया बच्चों का फेवरेट शो ”शक्तिमान” जिसके पॉपुलरटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि शक्तिमान की ड्रेस भी मार्केट में ट्रेंड करने लगी थी। शक्तिमान बनने के फेर में कई बच्चे अपनी छत से हाथ ऊपर उठाकर कूद जाते थे। सच बतायें तो एक दफा हमने भी कोशिश की थी पर उसके बाद की पूरी कहानी बयां करना हमारे लिए मुमकिन नहीं होगा।
आपको बता दें कि बॉलीवुड के किंग खान कहे जाने वाले एक्टर शाहरुख खान ने भी अपनी शुरुआत दूरदर्शन के फौज सीरियल से ही की थी।जैसे-जैसे साल बीते चैनल का क्रेज और दर्शकों की संख्या भी बढ़ गयी। यूनेस्को ने भारत को दूरदर्शन शुरू करने के लिए 20,000 डॉलर और 180 फिलिप्स टीवी सेट दिए थे पर आगे जाकर दूरदर्शन ने अपने 21 से भी ज़्यादा चैनल प्रसारित किये। 3 नवंबर 2003 में पहली बार दूरदर्शन में 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू हुआ।
आज टीवी का सबसे पहला और सबसे पसंदीदा चैनेल अपनी 58वीं सालगिरह का जश्न मना रहा जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।आज भले ही कितने चैनेल्स की भरमार हो गयी हो पर दूरदर्शन की बराबरी करने के ख्याल मात्र से भी वो सब काफी पीछे हैं।