टाइप 3-सी डायबिटीज की खोज हाल ही में हुए एक शोध में की गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार लोगों में टाइप 3-सी डायबिटीज भी काफी आम होती है, लेकिन टाइप-3 सी डायबिटीज को डॉ. पहचान ही नहीं पाते। शोधकर्ताओं के अनुसार अब तक 2 मिलियन डायबिटीज से पीड़ित लोगों में केवल 3 फीसदी लोगों में ही टाइप 3-सी डायबिटीज का पता लग पाया है।
डायबिटीज स्पेश्लिस्ट सेंटर्स में हुए इस अध्ययन के अनुसार टाइप 1 और टाइप 2 की तरह ही टाइप 3-सी डायबिटीज में इंसुलिन के साथ शरीर को डायजेस्टीव एंजाइम की काफी जरूरत होती है।
इस अध्ययन में इंगलैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर रिसर्च एंड सर्विलियंस डाटाबेस के लगभग 2 मिलियन से ज्यादा हेल्थ रिकॉर्ड्स को इस्तेमाल किया गया।
शोधकर्ताओँ ने दावा किया है कि युवाओं में डायबिटीज टाइप 1 की तुलना में टाइप 3-सी की संभावना ज्यादा होती है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि टाइप-2 के मुकाबले टाइप 3-सी डायबिटीज में शुगर लेवल को नियंत्रण करना ज्यादा मुश्किल होता है। इसमें शरीर को 10 गुनाह ज्यादा इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
डायबिटीज टाइप 1 यह डायबिटीज पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट होने के कारण होती है। इसमें इंसुलिन बनने की मात्रा या तो कम हो जाती है या पूरी तरह बंद हो जाती है। इस डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा युवाओं को होता है।
डायबिटीज टाइप 2 शरीर के ठीक तरह से इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाने की वजह से डायबिटीज टाइप 2 होती है लेकिन यह डायबिटीज ज्यादा उम्र के लोगों को होती है।
डायबिटीज टाइप 3-सी अगर आपने पैन्क्रियाज की सर्जरी कराई हो, आपके पैन्क्रियाज में ट्यूमर हो या आपके पैन्क्रियाज काम करना बंद कर दें तो आपको डायबिटीज 3-सी होने की ज्यादा संभावना होती है। इसमें सिर्फ इंसुलिन की मात्रा ही कम नहीं होती बल्कि होर्मोंस के साथ खाने को डाइजेस्ट करने वाला प्रोटीन भी कम मात्रा में बनता हैं।