दिल्ली सरकार ने ‘छात्रों के हित और स्कूलों के कामकाज’ में प्रिंसिपलों को शिक्षकों के स्थानान्तरण की सिफारिश करने का अधिकार देने का निर्णय लिया है।सरकार के मुताबिक यह कदम प्रिंसिपलों को सशक्त बनाना है और उन लोगों के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करना है, जो स्कूलों के कामकाज में बाधा डालते हैं। हालांकि शिक्षक, चिकित्सा आधार पर या किसी अन्य कारण से अकादमिक सत्र की शुरुआत में स्थानांतरण के लिए कह सकते हैं।
23 जून को शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “इसके द्वारा आदेश दिया जाता है कि प्रिंसिपल/ उप-प्रिंसिपल स्कूल के बाहर एक अकादमिक सत्र में तीन शिक्षकों के हस्तांतरण की सिफारिश कर सकता है। इस बारे में लखपत नगर में शहीद हेमु कालोनी सर्वोदय बाल विद्यालय के प्राचार्य बी के शर्मा का कहना है कि इस पॉवर से स्कूल के सुचारु कार्य में रुकावट को दूर किया जा सकेगा।
वहीं इस बारे में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार अतीशि मारलेना का कहना है कि कोई भी स्कूल उनके हैड के रूप में उतना ही अच्छा है, इसलिए यह स्कूलों के प्रमुखों को सशक्त बनाने का दूसरा तरीका है। हमने उन्हें पहले से बहुत प्रशासनिक और वित्तीय शक्ति दी है और यह एक और कदम है। हमें कुछ शिक्षकों के बारे में पिछले कुछ सालों से शिकायतें मिल रहीं थी। जोकि स्कूल हैड की बात स्वीकार करने से मना कर रहे थे।
सरकारी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय वीर यादव ने कहा सरकार के इस आदेश से शिक्षक चिंतित हैं। उन्हें आशंका है कि इस आदेश का इस्तेमाल कर उन्हें टारगेट किया जा सकता है। भले ही उनके स्कूल के प्रमुख के साथ मामूली मतभेद हो। यह प्राकृतिक न्याय व्यवस्था के खिलाफ है। इसके साथ ही आशंका है कि इसका प्रिंसिपलों द्वारा दुरुपयोग किया जाएगा। बड़ी चिंता की दूसरी बात यह है कि हस्तांतरण किस आधार पर हो ये कौन तय करेगा।