मुंबई: सेल्फी मौसी के नाम से फेमस कॉमेडियन सिद्धार्थ सागर पिछले चार महीने यानी दिसंबर 2017 से लापता थे। लेकिन अपने गायब होने की खबर वायरल होने के बाद सिद्धार्थ ने खुद सामने आकर अपने ठीक होने की पुष्टि की थी। हाल ही में सिद्धार्थ ने मीडिया से बातचीत की और अपनी फैमिली और खुद की हालत के बारे में खुलासा किया। सिद्धार्थ ने मीडिया से बातचीत में खुलासा करते हुए बताया कि पेरेंट्स उन्हें खाने में ड्रग्स मिलाकर देते थे। इस बात का पता उन्हें तब चला जब वे अजीब सा फील करने लगे और उनका वेट भी कम होने लगा था।इस दौरान उन्होंने स्मोकिंग कम की तो कॉफी ज्यादा पीने लगे। उन्होंने बताया, ‘जब मैंने अपनी हालत के बारे में पैरेंट्स को बताया कि उन्होंने मुझे कहा कि मुझे बायपोलर नाम की बीमारी है। इस बीमारी के बारे में सुनकर मैं शॉक्ड रह गया। मुझे इस बीमारी के बारे में पता था और मुझे कभी इस बीमारी से संबंधित कोई सिम्टम्स खुद में नहीं दिखे। जब प्रॉपर्टी की बात सामने आई तो मुझे पता चला कि मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। इस बात से मैं डिस्टर्ब हो गया’।सिद्धार्थ ने बातचीत में आगे बताया कि ‘मेरे पैरेंट्स को अलग हुए 20 साल हो गए हैं। बावजूद इसके हमारे बीच रिलेशनशिप हैं। मेरे पिता दिल्ली में रहते हैं और मैं मां के साथ मुंबई में। घर में हम दोनों ही है इसलिए हम एक-दूसरे के काफी क्लोज थे। मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त रही है। उनसे ज्यादा मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता। मां की मुलाकात सुयश गाडगिल से हुई। मुझे भी ये जानकर खुशी हुई कि मां की लाइफ में कोई आ गया है। लेकिन सुयश के आने के बाद मुझे लाइफ में चेंज देखने को मिला। मुझे अपना फैमिली मेटर पब्लिकली लाना बिल्कुल पसंद नहीं है’।सेल्फी मौसी ने बताया, ‘मैं आध्यात्म में विश्वास रखता हूं। दिल्ली में मेरे गुरु भी है। मैं वहां अक्सर जाता रहता हूं। मेरे पेरेंट्स नहीं चाहते थे कि मैं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का हिस्सा बनूं। उन्होंने मुझे इंडस्ट्री से दूर रखने की खूब कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। मैंने सुयश को वॉर्न भी किया था वो हमारी जिंदगी से खिलवाड़ न करें। मैंने उसे कह दिया था कि वो मेरे मां के इमोशन्स से न खेले। स्थितियां तब और ज्यादा खराब हो गई जब एक रात मेरी और सुयश की जमकर लड़ाई हुई और मैं घर छोड़कर चला गया। फिर मैं अकेले रहने लगा। एक ने मुझे सलाह दी कि मैं अपनी इस दुख भरी जिंदगी से उभरना होगा और फिर जल्दी ही में एडिक्ट हो गया। लेकिन ये मेरे लिए सही नहीं था और इसके बारे में मैंने अपनी मां को भी बताया। वो ये बात सुनकर शॉक्ड रह गई। मैंने उन्हें कहा कि मुझे किसी रिहैब सेंटर में भर्ती करवा दे ताकि मैं इससे बाहर आ सकूं’।आगे वह बताते है कि ‘मुझे काफी टॉर्चर किया जाता था। यहां पर 4-5 लोग मिलकर मुझे मारते थे। उनकी पिटाई के बाद मैं अपने होश खो देता था। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने मैनेजर को कॉन्टेक्ट किया। मैनेजर ने मुझे सेंटर से करीब एक महीने बाद बाहर निकाला। मैं चाहता था कि मेरी लाइफ ठीक हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हर रोज मेरी लड़ाई सुयश से होने लगी। मैं अपनी लाइफ को लेकर बेहद डर गया था। एक बार गोवा जाते समय मुझे बीच में से ही उठवा लिया गया और मुझे पागलखाने में डाल दिया गया। यहां भी मुझे टॉर्चर किया गया। आखिरकार मेरी मां ने मुझे पागलखाने से निकालकर आशा की किरण रिहैब सेंटर में शिफ्ट किया। आशा की किरण के फाउंडर ने मुझे स्ट्रेस लेने से मना किया। जब उन्होंने मेरा इलाज किया तो पाया कि गलत दवाईयों की वजह से मेरी ये हालत हो गई हैं। लेकिन अब मैं ठीक हूं और दोबारा काम पर लौटना चाहता हूं’।