चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने शुक्रवार को प्रकाशित अपने संपादकीय में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर इस हफ्ते दिए गए उनके युद्ध संबंधी बयान को लेकर जमकर निशाना साधा है। संपादकीय में कहा गया है कि यह बात स्वीकार की जानी चाहिए कि बिपिन रावत के पास बहुत बड़ा मुंह है और वे बीजिंग और नई दिल्ली के बीच आग भड़का सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति रावत ने आंख मूंद रखी हुई है और यह भी दिखता है कि भारतीय सेना में कितना अहंकार भरा हुआ है। रावत ने बड़े ही हाईप्रोफाइल तरीके से दो मोर्च पर युद्ध की स्थिति की वकालत की है, मगर भारतीय सेना के पास इतना विश्वास कहां से आया?
सीमा पर ताकत दिखाने का दौर शुरू-
आपको बता दें कि एक सेमिनार में बोलते हुए रावत ने नई दिल्ली में चीन से संबंधित बयान दिया था, “जहां तक हमारे उत्तरी विरोधी का सवाल है, तो ताकत दिखाने का दौर शुरू हो चुका है। धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना और हमारी सहने की क्षमता को परखना हमारे लिए चिंता का सबब है। इस प्रकार की परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए जो धीरे-धीरे संघर्ष के रूप में बदल सकती है।”
चीन ने गुरुवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के युद्ध संबंधी बयान पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि, ‘क्या यह भारत सरकार की भी राय है और क्या वह इस प्रकार के बयान देने के लिए ‘अधिकृत’ हैं, वह भी ऐसे समय जब दो महीने तक चले डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के नेताओं की सकारात्मक मुद्दों को लेकर बैठक हुई है।’
जनरल रावत ने बयान में कहा है कि, ‘भारत को दोनों मोर्चे (चीन व पाकिस्तान) पर युद्ध के लिए तैनात रहना चाहिए।’ मगर टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि, “हमें यह नहीं पता कि क्या वह इन बातों को कहने के लिए अधिकृत हैं या फिर स्वत: स्फूर्त अचानक कहे गए शब्द हैं या फिर यह टिप्पणी भारत सरकार के रुख का प्रतिनिधित्व करती है?”
रावत का बयान बुधवार को ऐसे समय आया था, जब एक दिन पहले ही ब्रिक्स सम्मेलन से इधर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की थी और सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई थी।
इन सबके बीच चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया दी है, जो दिखाता है कि आर्मी चीफ के बयान से बीजिंग कितना चिढ़ा हुआ है। ब्रिक्स समिट में मोदी और शी की मुलाकात के तुरंत बाद ही रावत ने सीमा पर चीन की सीनाजोरी की ओर ध्यान दिलाया है। चीनी मीडिया ने डोकलाम विवाद पर समझौते को शी जिनपिंग की कामयाबी के तौर पर पेश किया था।
संपादकीय में कहा गया है कि रावत का बयान डोकलाम विवाद समाप्त होने के हफ्ते भर के भीतर ही आया है, जब चीन और भारत के नेताओं ने ब्रिक्स समिट के दौरान मुलाकात की और दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। अखबार कहता है कि जब बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि दोनों देशों को डोकलाम विवाद छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए, ऐसे में बिपिन रावत ने एकदम उल्टा ही बयान दिया है।
चीनी अखबार ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारतीय जनरलों को ताजा स्थिति के बारे में कुछ बेसिक जानकारी रखनी चाहिए। क्या भारत दो मोर्चों पर लड़ाई को झेल सकता है, यदि चीन-पाकिस्तान एक साथ मोर्चा खोल दें?
चीनी अखबार की तीखी टिप्पणी-
अखबार ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि वहां दो भारत हैं, एक जो ब्रिक्स समूह का हिस्सा है, चीन की तरह और दूसरा चीन के खिलाफ भड़काऊ बयान देता रहता है। क्या हमें पहले भारत को गले लगाकर दूसरे को सबक सिखाना चाहिए। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि पहले भारत को दूसरे भारत को अनुशासन सिखाना चाहिए और स्वाभिमानी भारतीयों को जनरल रावत जैसे अपने सीनियर अधिकारियों के मुंह का ख्याल रखना चाहिए क्योंकि वे उनके शब्द और अहंकार भारतीयों की इमेज के साथ मेल नहीं खाते हैं।