राजस्थान सरकार, कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह पुलिस मुठभेड़ प्रकरण और सांवराद में सुरेन्द्र सिंह की मृत्यु प्रकरण की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करवाने की सिफारिश करेगी। राजपूत समाज ने आज उक्त जानकारी दी। राजस्थान सरकार और सर्व समाज संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में यह सहमति बनी है। बैठक में शामिल राजपूत समाज के गिर्राज सिंह लोटवाडा ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में यह सहमति बनने के बाद वहां उपस्थित लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। सर्व समाज एवं राजपूत समाज ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया है।
सरकार की ओर से बैठक में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पंचायत राजमंत्री राजेन्द्र राठौड़ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने सहमति पर हस्ताक्षर किया है। सर्वसमाज की और से बैठक में ग्यारह प्रतिनिधि मौजूद रहे।
लोटवाडा ने कहा कि सरकार ने कहा है कि विगत 24 जून को पुलिस मुठभेड़ में मारे गए आंनदपाल सिंह और सांवराद में 12 जुलाई को हुई हुंकार रैली में सुरेन्द्र सिंह की मृत्यु के प्रकरण की जांच सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश करेगी। उन्होंने कहा, “बातचीत में सरकार ने आश्वासन दिया है कि पुलिस किसी व्यक्ति के खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्रवाई नहीं करेगी।” लोटवाडा ने कहा कि सरकार द्वारा हमारी मांगे मानने के बाद सर्वसमाज संघर्ष समिति और राजपूत समाज ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि पुलिस ने सांवराद में विगत 12 जुलाई को राजपूत समाज की हुंकार रैली में मारे गये व्यक्ति की पहचान हरियाणा के रोहतक निवासी लाल चंद शर्मा के रूप में पहचान की थी, मगर उसकी पहचान सुरेन्द्र सिंह के रूप में हुई है। सुरेन्द्र सिंह का शव जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के मुर्दाघर में रखा हुआ है। अन्तिम संस्कार कल मालासर में होगा।
गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने आज सुबह इस प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग सिरे से खारिज करते हुए मानवाधिकार आयोग के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि चौबीस घंटों के दौरान परिजन अन्तिम संस्कार करें वरना फिर सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी। कटारिया के मुताबिक सांवराद में हुंकार रैली के दौरान हुई हिंसा में गोली चलने से लालचंद की मौत हो गयी और इससे पहले झड़प में चौबीस पुलिसकर्मी समेत 32 लोग घायल हो गए थे। घायलों में नागौर पुलिस अधीक्षक पारिस देशमुख, प्रशिक्षु आईपीएस महिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक का अंगरक्षक भी शामिल हैं। घायलों में से एक पुलिसकर्मी की हालत नाजुक बताई जा रही है।
कटारिया ने कहा कि लोगों ने प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी के साथ दुव्यर्वहार भी किया। इस मामले में अब तक डेढ सौ से दो सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रकाश टाटिंया ने आनंदपाल सिंह के शव रखे होने के मामले को स्वत: संज्ञान में लेकर राजस्थान सरकार को आगामी चौबीस घंटों के दौरान शव का अन्तिम संस्कार करवाकर रिपोर्ट 20 जुलाई तक पेश करने के आदेश दिया था।
गौरतलब है कि कुख्यात अपराधी आनंदपाल करीब डेढ़ साल पहले परबतसर की एक अदालत में पेशी के बाद अजमेर केन्दीय कारागृह जाते समय सुरक्षागार्डो की कथित मिलीभगत से फरार हो गया था। पुलिस के विशेष आपरेशन समूह ने फरार आनंदपाल सिंह गिरोह से जुडे और फरारी काटने में मदद करने वाले करीब साठ से अधिक गुर्गों को गिरफ्तार किया था। एसओजी पुलिस के मुताबिक गत 23 जून को आनंदपाल सिंह के दो भाईयों को हरियाणा के एक गांव से दबोचने के बाद उससे मिली जानकारी के बाद 24 जून को उसको घेर कर आत्मसमर्पण करने का दवाब बनाया गया, मगर आनंदपाल सिंह ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में आनंदपाल सिंह ढेर हो गया था।