कानपुर: सीबीआई ने बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में मशहूर उद्योगपति और रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी के आवास पर छापा मारा। सीबीआई और प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) की संयुक्त टीम ने कोठारी के तिलकनगर स्थित आवास पर छापा मारा और दस्तावेज खंगाले। अधिकृत सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने उद्योगपति के खिलाफ मनी लाड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया है। कोठारी परिवार के सभी सदस्यों के पासपोर्ट और मोबाइल कब्जे में ले लिए हैं। पत्नी और बेटे समेत कोठारी से सीबीआई पूछताछ कर रही है। उनकी सभी चल और अचल संपत्ति के कागजों की पड़ताल की जा रही है।
आवास पर छापा मारने के साथ ही टीम ने कंपनी के सिटी सेंटर मॉल रोड स्थित ऑफिस और पनकी स्थित रोटोमैक फैक्ट्री पर भी छापे की कार्रवाई की। सीबीआई और ईडी एक-एक कागजात को कब्जे में लेकर उनकी जांच कर रही है। कोठारी पर आरोप है कि उन्होने बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और यूनियन बैंक से लिए करीब 800 करोड़ रूपए के कर्ज को लेकर धोखाधडी की। वही कोठारी का कहना है कि उनके ऊपर भागने के आरोप गलत है। वह कहीं नहीं गए। उनका मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिव्यूनल (एनसीएलटी) में विचाराधीन है और वह ऋणों के सेटलमेंट के लिए बैंकों के साथ लगातार संपर्क में हैं।
इस मामले में कोठारी ग्रुप के वकील शरद बिरला का कहना है कि कोठारी कहीं फरार नहीं थे। वह कानपुर में थे और बैंको से लगातार संपर्क में थे। सूत्रों के अनुसार कोठारी ने इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़, यूनियन बैंक से 485 करोड़ समेत 5 बैंकों से करीब 800 करोड़ का कर्ज लिया है। आरोप है कि रोटोमैक ने कर्ज नहीं चुकाया और इसके लिए बैंकों ने नियमों को ताक पर रखा। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने कोठारी के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद अफसरों ने उनके ठिकानों पर छापेमारी शुरू की।
गौरतलब है कि बैंकों ने उद्योगपति पर आरोप लगाया था कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया। इसपर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों पर एक आधिकारिक जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था।