मंगलवार को सीबीआई ने अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीक़ी के लिए टाडा अदालत से उम्र कैद की सज़ा दिए जाने की मांग की है। सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि अब सलेम के गुनाहों के लिए उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए। मगर पुर्तग़ाल सरकार के साथ प्रत्यर्पण संधि की वजह से अबू को आजीवन कारावास की सजा दी जाये।
अबू सलेम के वकील सुदीप पासबोला ने सीबीआई की इस दलील पर आपत्ति जताया और कहा कि जब उसे मौत की सज़ा नही दी जा सकती, फिर इस बात का जिक्र वो अदालत में क्यों कर रहे है। जिसपर सीबीआई के वकील ने कहा कि अभी कुछ दिनों पहले ही हमारे पीएम यूके गए थे और उन्होंने पिछले कुछ सालों में आंतकवाद के बदलते स्वरूप की बात की है।
आने वाले दिनों में हो सकता है कि भारत सरकार पुर्तग़ाल सरकार से बात करके उन्हें ये कन्विंस करने की कोशिश करे कि अबू सलेम को हिंदुस्तान की अदालत ने दो बार आतंकवादी माना है। यदि पुर्तग़ाल सरकार भारत की दलीलों को मान लेता है तब हम कुछ नही कर पायेंगे। इसीलिए सीबीआई चाहती है कि उनकी इस बात को भी दर्ज किया जाए कि सलेम फाँसी का हक़दार हैं लेकिन पुर्तग़ाल से संधि की वज़ह से उसके लिए सीबीआई उम्रकैद मांग रही है।
वहीं 93 बम धमाकों के दोषी फ़िरोज़ खान के वकील ने अदालत में दो अलग-अलग अर्ज़ी लगाकर जिरह की तैयारी और दो गवाहों को mitigating circumstance के तहत पेश करने की इजाज़त मांगी। जिसे कोर्ट ने नही माना। दरअसल फ़िरोज़ के वकील उन्ही दो गवाहों की पेशी चाहते थे, जिन्हें पिछली बार अदालत में बुलवा कर फ़िरोज़ के वकील वहाब खान ने examine करने से मना कर दिया था।
तब अदालत ने फ़िरोज़ पर दो हज़ार रुपये का जुर्माना भी ठोका था। अदालत ने फ़िरोज़ से पूछा कि क्या वो जुर्माना भर दिया गया है, जिसके जवाब में फ़िरोज़ ने कहा कि उसके पास पैसे नही हैं। कोर्ट ने कहा कि वो जुर्माना ओर दोनों गवाहों को वापस अदालत में पेश करने का खर्च यदि फ़िरोज़ खान देने को तैयार है, तो उन्हें बुधवार को बुला लिया है। अदालत को फ़िरोज़ के वकील ने बताया कि वो ये रकम नही भर सकता. जिसके बाद जज ने उसकी अर्ज़ी को नामंजूर कर दिया।
सीबीआई ने मंगलवार को सभी 93 बम धमाकों के 6 दोषियों के लिए अपनी दलील खत्म कर ली। पिछले हफ्ते 6 में से एक दोषी मुस्तफा दोसा की मौत हो गयी थी। बुधवार को अबु सलेम के वकील उसे कम से कम सजा दिए जाने के लिए जिरह शुरू करेंगे।