नई दिल्ली: दुनिया में महिलाओं को हमेशा से ही अनेकों दर्द तकलीफें झेलनी पड़ी हैं .फिर चाहे वो क्रूर राजा का ज़माना हो या फिर वर्तमान का लोकतान्त्रिक समय .महिलाओं को अकसर ही अपने अधिकार के लिए,अपने हक के लिए पुरुषों से अधिक मशक्कत करनी ही पड़ी है.आज 21वीं सदी में हम भले ही कितना आगे आ गए होने पर अतीत की गहराईयों में झांकने पर हमे पता चलता है कि किस कदर संघर्ष करके महिलाओं नें अपने लिए ये मुकाम हासिल किया है.
बदन ढकने की इज़ाज़त नहीं थी महिलाओं को
आपको बता दें कि प्राचीनकाल में एक ऐसा भी समय था जब महिलाओं को अपनी अस्मत छुपाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था.जी हाँ ये बिलकुल सच है जिस केरल प्रान्त को आज भारत का सबसे अधिक प्रगितिवादी और शिक्षित राज्य मानते हैं उसी केरल की आज़ादी के पूर्व बद से बदतर स्थिति थी .यहाँ पर महिलाओं को खासकर दलित और नीची जाति की महिलाओं को अपने बदन का उपरी हिस्सा ढकने की इज़ाज़त नहीं थी.
केरल में फैली थी ये घिनौनी परम्परा
केरल के त्रावन्कोर जिले के आस-पास के क्षेत्र में फैली इस घिनौनी प्रथा के चलते अगर किसी महिला को अगर स्तन ढ़के हुए देख लिया जाता था, तो उसके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया जाता था यह कुप्रथा 19वीं सदी के मध्य तक यहां पर थी। इस राज्य में नम्बोदिरी, ब्राह्मण, क्षत्रिय और नैय्यर जाति की महिलाओं को घर से बाहर जाते समय अपने शरीर के उपरी हिस्से को ढकने की इजाज़त थी मगर गलती से भी अगर कोई नीच जाति की महिला बदन को ढंक बाहर निलती तो बाकी पुरष उस महिला के कपडे तक फाड़ देते थे .
स्तन छुपाने के लिए देना पड़ता था ‘ब्रेस्ट टैक्स’
यह तत्कालीन समय में फैला हुआ एक घिनौना जातिगत विभेद था. दलित महिलाओं पर यहां ‘Mulakkaram’ नाम का ‘ब्रेस्ट टैक्स’ लगता था. इस टैक्स को त्रावणकोर के राजा ने लगाया था। इस टैक्स को बहुत सख्ती से लागू किया गया था . राजा के इस फरमान के बाद नीची जाति की महिलाएं अपनी आबरू बचाने के लिए ब्रेस्ट टैक्स भरने लगी .मगर इसके बावजूद उनकी इज्ज़त अधिक समय तक पुरुष प्रधान समाज के चंगुल से नहीं बच पायी .टैक्स जमा करने के बाद भी अगर कोई नीची जाति की महिला अपने स्तन ढंक कर घर से निकलती थी तो कुछ लोग सरेराह उसके कपडे तक फाड़ देते थे.
महिला नें किया विरोध तो कटवा दिए गए स्तन
इसके विरोध में केरल में रहने वाली एक दलित महिला नांगेली नें अपनी इज्ज़त के अधिकार के लिए त्रावनकोर के राजा के खिलाफ आन्दोलन चलाया.नांगेली पहली ऐसी दलित महिला थी जिसने ब्रेस्ट टैक्स देने से इनकार कर दिया.जब राजा नें उसकी खिलाफत सुनी तो राजा नें बड़ी ही बेरहमी से नांगेली के स्तन ही कटवा दिए थे.जिसके फलस्वरूप उसकी मौत हो गयी थी . मगर नांगेली की मौत से पूरा दलित समाज आक्रोशित हो गया .
26 जुलाई लायी सुनहरी सुबह
नांगेली की मौत ने सभी दलित महिलाओं के दिल में जो चिंगारी भड़काई उस आग नें महिलाओं के खिलाफ चल रहे इस काले कानून को जलाकर राख कर दिया . और लम्बे अरसे तक अपनी इज्ज़त की लड़ाई लड़ने के बाद 26 जुलाई 1859 को महिलाओं को पूर्ण रूप से अपना तन ढकने का अधिकार मिल गया।
बेहतर भविष्य की और बढ़ी दलित महिलायें
इसके बाद से ही महिलाओं नें घर के भीतर और बाहर दोनों जगह अपने स्तन को ढकना शुरू किया.धीरे -धीरे महिलाओं के जीवन में कई परिवर्तन आये मगर इतिहास की इस कुप्रथा को खत्म करने के बाद ही महिलाए सही रूप से बेहतर भविष्य की तरफ अग्रसर हो सकी है .