उत्तरप्रदेश की बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में शुक्रवार से महिला छात्रों ने छेड़खानी के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत की थी, शोहदों पर कार्रवाई न होने के बाद शनिवार और रविवार की रात को छात्र-छात्राएं कुलपति का आवास घेरने के लिए पहुंचे थे, जिस दौरान कुलपति की सिक्योरिटी ने छात्रों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें तीन छात्राएं घायल हो गयी थीं। जिसके बाद छात्रों ने BHU परिसर में पत्थरबाजी शुरू कर दी थी, जिसके चलते BHU प्रशासन ने 10 थानों की पुलिस को बुलाया जिन्होंने परिसर में आगजनी, तोड़फोड़ कर रहे छात्रों पर लाठियां बरसाई। वहीँ मामले में जिला प्रशासन अब नींद से जागा है।
नींद से जागा प्रशासन, BHU मामले में हुई कार्रवाई-
BHU मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली है। जिला प्रशासन ने मामले में कार्रवाई करते हुए 3 लोगों को सस्पेंड कर दिया है। BHU में हुई गड़बड़ियों को लेकर SSP ने लंका CO और SO को हटा दिया गया है। लंका SO को हटाकर क्राइम ब्रांच भेजा गया है। इसके साथ ही जिला प्रशासन ने SDM को भी हटा दिया है।
BHU में VC-छात्रों ने बिगाड़े हालात-
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में उसी के छात्रों और VC ने हालातों को बहुत हद तक बिगाड़ दिया है। BHU परिसर में आगजनी, तोड़फोड़ और बमबारी जैसी घटनाएँ हुई हैं। मामले में BHU VC भी उतने ही कसूरवार नजर आ रहे हैं जितने की उग्र छात्र। VC के असंवेदनशील रवैया ने आसानी से सँभलने वाले मामले को दंगे के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। इसके साथ ही मामले में इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी VC ने सभी छात्रों को हॉस्टल खाली करने का आदेश दे दिया। साथ ही रविवार शाम तक हॉस्टल खाली न करने पर प्रशासनिक कार्रवाई की भी बात कही थी। लेकिन मीडिया में मामला आते ही VC अपने आदेश से मुकर गए।
हॉस्पिटल जाने से रोकी गयी ऑक्सीजन की सप्लाई-
BHU की लड़कियां खुद से हुई छेड़छाड़ के खिलाफ आन्दोलन कर रही थी। मगर कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उन्हीं छात्राओं ने BHU स्थित हॉस्पिटल के लिए जा रही ऑक्सीजन की सप्लाई को जाने से रोक दिया था। इसके बाद सवाल यह उठता है कि, क्या उन्हीं छात्राओं के खिलाफ इस हरकत के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए?