ज्योतिष की राय से जीवन में आने वाली समस्याओं से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। कोई भी शुभ काम करने से पहले ग्रह-नक्षत्रों की चाल को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। 19 जनवरी शुक्रवार की दोपहर 2.18 से पंचक का आरंभ हो गया है। इसका प्रभाव 24 जनवरी बुधवार की प्रात: 8.15 तक रहेगा। इस दौरान किसी भी तरह का लेन-देन, कारोबार में कोई बड़ा सौदा अथवा यात्रा का आरंभ करना कष्टदायक सिद्ध होता है। पैसे और वक्त की बर्बादी होती है। इस पंचक का आरंभ शुक्रवार से होने के कारण इसे चोर पंचक कहा जाएगा।
ज्योतिषचार्यों के अनुसार कुछ विशेष ग्रह-नक्षत्रों में किए गए कार्य अनंत गुणा फल देते हैं और कुछ अशुभ प्रभाव देते हैं। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती ऐसे ही नक्षत्र हैं जिनमें कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। धनिष्ठा के आरंभ से रेवती नक्षत्र के अंत तक जो समय होता है उसे पंचक कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त 5 काम जो पंचक में नहीं करने चाहिए-
-पंचक में चारपाई बनवाने से घर-परिवार पर बड़ा दुख आता है।
-पंचक के समय घनिष्ठा नक्षत्र चल रहा हो तो उस समय में घास, लकड़ी और जलने वाली कोई भी चीज एकत्रित करके नहीं रखनी चाहिए इससे आग लगने का डर रहता है।
-दक्षिण दिशा पर यम का अधिकार है जब पंचक चल रही हो तो दक्षिण दिशा में यात्रा न करें।
-पंचक और रेवती नक्षत्र एक साथ चल रहे हो तो घर की छत न बनवाएं अन्यथा घर में धन का अभाव रहता है और पारिवारिक सदस्यों में मनमुटाव कभी समाप्त नहीं होता।
गरुड़ पुराण में कहा गया है जब किसी व्यक्ति की पंचक में मृत्यु होती है तो उसके साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है अन्यथा घर में पांच मौत होने का भय रहता है।