बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को 2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले कोर्ट में गवाह के तौर पर पेश होना पड़ सकता है। मामले की सुनवाई करते हुए विशेष अदालत ने पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी की याचिका पर इसकी मंजूरी दी। कोडनानी ने शाह को बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर बुलाने की अनुमति मांगी थी।
पूर्व विधायक कोडनानी इन लोगों की गवाही के जरिए खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश में हैं। उनका दावा है कि अमित शाह और अन्य की गवाही से यह साबित हो जाएगा कि वह घटनास्थल पर नहीं थीं।
जस्टिस पीबी देसाई ने कहा कि इन गवाहों को सुनवाई के उचित एवं प्रासंगिक चरणों पर समन जारी किए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि अभियोजन पक्ष को कोई आपत्ति नहीं है, तो गवाहों को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। जस्टिस ने कहा कि मेरा मानना है कि गवाहों की इस संख्या से पूछताछ किया जाना न तो अनुचित है और न ही असंगत है।
नरोदा नरसंहार में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 82 लोगों का ट्रायल चल रहा है। माया कोडनानी बाद के दिनों में राज्य की तत्कालीन मोदी सरकार में महिला बाल विकास कल्याण मंत्री बनाई गईं थी।
आपको बता दें कि नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी को 28 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि बाद में उन्हें ऊपरी अदालत से जमानत मिल गई थी। नरोदा पाटिया गुजरात दंगों के उन 9 प्रमुख मामलों में से एक हैं, जिसकी जांच एसआईटी ने की थी। इस मामले में कुल 82 लोगों के खिलाफ केस चल रहा है।