नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2021
संतदेव चौहान पिछले 25 वर्षों से एम्स में एक कर्मचारी हैं और इस महामारी के दौरान गरीबों की मदद करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। वह दूर दराज के क्षेत्रों से एम्स आने वाले लोगों के इलाज की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। संतदेव एक सामुदायिक रसोई घर (कम्युनिटी किचन) चला रह हैं और प्रतिदिन लगभग पचास लोगों को खाना खिलाते हैं। यही नहीं, वह लोगों की ठहरने की व्यवस्था में भी मदद करते हैं।
उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा मैं कई सालों से एम्स में काम कर रहा हूं, लेकिन अब ऐसा है कि मुझे संतुष्टि मिलती है, जब मैं ऐसे लोगों की मदद करता हूं, जो आर्थिक रूप से भी परेशान होते हैं। मैंने अपना एक साल का वेतन भी पीएम-केयर्स फंड को दान किया है।
संतदेव उत्तर प्रदेश के मऊ से हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने दादा से समाज सेवा का जुनून मिला। संतदेव एम्स दिव्यांग कर्मचारी महासंघ के प्रमुख हैं, जिसमें कुछ डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी सहित लगभग 2,000 सदस्य हैं।
जब उनसे उनके अनुभव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सैकड़ों लोगों की मदद की है और आज उन्होंने एक मरीज के परीक्षण के लिए भी भुगतान किया है। वह विशेष रूप से दिव्यांग समुदाय को जल्द से जल्द टीकाकरण करने में मदद कर रहे हैं।
महामारी के दौरान देश कठिन समय का सामना कर रहा है और बहुत से लोग अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं और कुछ अवैध गतिविधियों जैसे कालाबाजारी और पैसे कमाने के अन्य साधनों में लिप्त हैं। इस स्थिति में, संतदेव जैसा व्यक्ति समाज के लिए एक आशा है।
संतदेव कहते हैं कि एम्स में आने वाले ज्यादातर लोग गरीब पृष्ठभूमि से हैं और वे अस्पताल में भार के कारण संकट में हैं और उनकी छोटी सी मदद उन्हें सांत्वना प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि वह कभी-कभी उन लोगों के लिए नि: शुल्क आवास की सुविधा की व्यवस्था भी करते हैं।
फेडरेशन ऐसे लोगों के लिए संसाधन भी जुटाता है।