प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के वुहान शहर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद भारत के लिए रवाना हो गए। इससे पहले पीएम ने ने शी के साथ वुहान में अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत प्रसिद्ध ईस्ट लेक के किनारे सैर के साथ की। इस सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंध को सुधारने और संबंधों में कड़वाहट भरने वाले विवादित मुद्दों के समाधान पर बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने झील के किनारे सैर के साथ ही करीब एक घंटे तक नौका – विहार भी किया। शी द्वारा पीएम मोदी के सम्मान में दिये गए दोपहर के भोज के दौरान भी वह दानों अकेले में बात करेंगे। प्रधानमंत्री आज स्वदेश के लिये रवाना होंगे।
पीएम मोदी ने जिनपिंग को कहा शुक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उन्होंने यहां दो दिन की अनौपचारिक शिखर वार्ता के पहले चरण के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ‘‘ व्यापक और लाभप्रद ’’ बातचीत की। मोदी ने चीन की लोकप्रिय सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट में कहा कि मैं वुहान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलकर काफी खुश हूं। हमने व्यापक और लाभप्रद बातचीत की और भारत – चीन संबंध मजबूत बनाने तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार साझा किए। वीबो पर मोदी के 1,83,112 फॉलोवर्स हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मेरे साथ हुबेई प्रांत के संग्रहालय में जाने के शानदार आतिथ्य के लिए शुक्रिया राष्ट्रपति शी जिनपिंग। यह संग्रहालय चीन के इतिहास और संस्कृति का बड़ा पहलू है। मोदी और शी को आज अभूतपूर्व अनौपचारिक शिखर वार्ता का समापन करना है। इस वार्ता को पिछले साल डोकलाम में 73 दिन तक चले गतिरोध के बाद विश्वास बहाल करने और संबंधों को सुधारने के भारत और चीन के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
पीएम ने जिनपिंग को दिया खास तोहफा
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार शी जिनपिंग को एक प्रसिद्ध चीनी चित्रकार की दो कलाकृतियों की प्रतिलिपियां भेंट कीं। उस चित्रकार ने ये कलाकृतियां पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय में 1939-40 में ठहरने दौरान बनाई थी। मोदी ने यहां अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान शी को शू बीहोंग की दो पेंटिंग की प्रतिलिपियां दीं। शू घोड़ों और पक्षियों की अपनी पेंटिग के लिए जाने जाते थे। वह उन कलात्मक अभिव्यक्तियों की जरूरतों को सामने रखने वाले प्रथम चीनी कलाकारों में एक थे जिनमें 20 वीं सदी के प्रारंभ में आधुनिक चीन परिलक्षित हुआ।
सूत्रों के अनुसार शू चीन से प्रथम विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में शांतिनिकेतन आए थे उन्होंने कलाभवन में अध्यापन किया था। उस दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने दिसंबर 1939 में शू बीहोंग की 150 से अधिक कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। बता दें मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से यह चीन की उनकी चौथी यात्रा है। वह एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये फिर से चीन आएंगे। एससीओ शिखर सम्मेलन 9-10 जून को छिंगदाओ शहर में होना है।