देश में 18 वीं लोकसभा के सदस्यों के लिए चुनाव में अभी करीब एक साल सात महीने का वक्त बचा है लेकिन यूपी में बीजेपी ने अभी से जिस स्तर की तैयारी शुरू कर दी है उससे वो अखिलेश यादव की सपा और मायावती की बसपा से कोसों आगे दिखने लगी है। यहां एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ के धुआंधार दौरों का दौर चल रहा है तो दूसरी ओर पार्टी की कमान सम्भालते ही नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने भी सभी क्षेत्रवार बैठकों का सिलसिला चलाकर सांगठनिक दृष्टिकोण से प्रदेश को कोने-कोने को मथ दिया है। शुक्रवार को भी दौरों-बैठकों का यह दौर जारी है। सीएम योगी आदित्यनाथ गाजीपुर और जौनपुर के दौरे पर हैं तो प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी लखनऊ में अवध क्षेत्र की बैठक कर रहे हैं। वहीं प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह गोरखपुर पहुंचे हैं।
इस साल 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 403 में 255 सीटें जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया। तभी से पार्टी के रणनीतिकार 2024 में यूपी की सभी लोकसभा सीटें जीतने के भी दावे करने लगे। बीजेपी के बारे में कहा जाता है कि वहां चुनावी तैयारी कभी भी थमती नहीं है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में यूपी से शत प्रतिशत जीत का जो लक्ष्य निर्धारित किया उसके बाद उसकी तैयारी की रफ्तार देखते ही बनती है। दरअसल, बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को 80 में से 62 सीटें मिली थीं। उसकी सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली जबकि बीएसपी को 10 और सपा को 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी जबकि आरएलडी के खाते में एक भी सीट नहीं आई। इस बार बीजेपी का दावा और तैयारी एनडीए को सभी 80 सीटों पर जीत दिलाने की है।
पिछली बार की हारी सीटों पर बीजेपी को नंबर दो से नंबर एक बनना है। निकाय चुनाव के बहाने पार्टी इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर यूपी मथ रही हैै। इसके लिए बकायदा अभी से 2024 तक के कार्यक्रम निर्धारित किए जा रहे हैं।
दरअसल, बीजेपी के आत्मविश्वास की एक वजह यह भी है कि 1985 के बाद पहली बार यूपी में कोई सरकार अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा पूर्ण बहुमत से सत्ता में लौटी है। यूपी में बीजेपी 2014 के बाद से लगातार हर चुनाव (2014 और 2019 में लोकसभा, 2017 में विधानसभा चुनाव) जीत रही है। उधर, राज्य की प्रमुख मुख्य विपक्षी पार्टियां समाजवादी पार्टी और बसपा अपने ही अंतर्द्वंदों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं।
प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी जहां पदभार ग्रहण करने के बाद यूपी में अपने आगमन के साथ ही गाजियाबाद में पश्चिम क्षेत्र और उसके बाद कानपुर और काशी क्षेत्रों की बैठक कर चुके हैं। वहीं धर्मपाल सिंह भी लखनऊ मुख्यालय पर पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठकों के बाद गुरुवार को काशी क्षेत्र की बैठक करते हुए शुक्रवार को गोरक्ष क्षेत्र की बैठक करने गोरखपुर पहुंचे हैं।
निकाय और स्नातक चुनाव में टॉप करने का मंत्र
बीजेपी निकाय चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले सांगठनिक ताकत को एक बार फिर आजमाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का मौका मानकर चल रही है। भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल सिंह के लिए भी निकाय चुनाव अपने रणनीतिक कौशल को साबित करने का पहला बड़ा अवसर है। लिहाजा दोनों नेता लगातार बैठकें कर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निकाय और स्नातक चुनाव में शत प्रतिशत जीत का आह्वान कर रहे हैं।
पिछले दिनों बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में ही तय किया गया था कि छह क्षेत्रों में से दो की बैठक प्रदेश अध्यक्ष और चार की संगठन महामंत्री लेंगे। इसकी शुरुआत बुधवार से की गई। गोरक्ष क्षेत्र की बैठक ब्रज क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र और काशी क्षेत्र के बाद हो रही है। गुरुवार को पहली बार काशी पहुंचे धर्मपाल सिंह ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि वे निकाय और शिक्षक चुनाव में शत-प्रतिशत लक्ष्य पाने के लिए अभी से तैयारियों में जुट जाएं। शुक्रवार को गोरखपुर में भी उनका फोकस निकाय और स्नातक चुनाव पर ही होगा।
निकाय चुनावों में अपेक्षा के मुताबिक पार्टी टॉप करे इसके लिए निकाय संयोजकों की तैनाती की जा चुकी है। जल्द ही हर जिले में निकाय प्रभारी और निकायों में प्रभारियों की तैनाती भी कर दी जाएगी। इस महीने के अंत तक ये सभी पदाधिकारी आवंटित निकायों में प्रवास पर जाएंगे। मतदाता सूची के पुनरीक्षण में छूटे नाम जुड़वाने के साथ ही पार्टी में निकायों के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
17 सितम्बर से सेवा पखवाड़ा मनाएगी भाजपा
निकाय चुनाव से पहले भाजपा के पास जनता से सीधे तौर पर जुड़ने का एक और मौका सेवा पखवाड़ा के तौर पर सामने आ रहा है। भाजपा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मनाएगी। इसके तहत बूथ स्तर तक कार्यक्रम तो होंगे ही, सेवा कार्यों की प्रतिस्पर्धा भी होगी।