सुनील गावस्कर ने जब संन्यास लिया था तो कहा था कि खिलाड़ी को तब खेल को अलविदा कह देना चाहिए, जब वह अपने शीर्ष पर हो। उसके संन्यास लेने पर लोग उससे विनती करें कि वह वापस लौटे। यही स्थिति होती है, जब एक खिलाड़ी को खेल से अलग हो जाना चाहिए। यह बयान गावस्कर ने तब दिया था जब क्रिकेट पेशेवर नहीं था। आज क्रिकेटर 40 साल की उम्र तक खेलते हैं।
गावस्कर ने यह बयान दिया था तो टेनिस पेशेवर था। तब मार्टिना नवरातिलोवा जैसी खिलाड़ी 35 की उम्र के बाद भी ग्रैंड स्लैम जीत रही थीं। जान मैकनरो और इवान लैंडल भी बढ़ती उम्र के साथ सफल हो रहे थे। क्रिस एवर्ट लायड का खेल बढ़ती उम्र के साथ और निखर रहा था। तब कोई भी टेनिस खिलाड़ी अपना रैकिट खूंटी पर टांगने को तैयार नहीं होता था। इसी कारण गावस्कर की बात पेशेवर खेलों पर लागू नहीं होती हैं, परन्तु दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी आस्ट्रेलियाई एश्ले बार्टी ने संन्यास की घोषणा कर दी। उनकी उम्र 25 साल है।
एश्ले बार्टी अभी चारों ग्रैंड स्लैम जीत सकती थीं। वे 2019 में फ्रेेंच ओपन, 2021 में विम्बलडन और 2022 में आस्ट्रेलियाई ओपन जीत चुकी हैं। वे अपने 11 साल के छोटे से करिअर में 15 एकल और 12 युगल खिताब जीत चुकी हैं। ऐसे में उनकी क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वे अपने देश की दूसरी ऐसी टेनिस खिलाड़ी हैं जो दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनीं। बार्टी की सोच अलग प्रकार की है। वे जस्टिन हेनिन जैसी सोच की खिलाड़ी हैं जिन्होंने शीर्ष पर रहते हुए अपने खेल को अलविदा कह दिया। जस्टिन हेनिन ने भी मात्र 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था।
बार्टी ने कहा कि उन्होंने टेनिस में वह सब कुछ पा लिया है जो वे पाना चाहती थीं। अब वे अपनी जिंदगी में कुछ नया करना चाहती हैं। एश्ले पहली बार खेल से अलग नहीं हुईं। इससे पहले भी वे 2015 में खेल से अलग हो गई थीं। उन्होंने 2015 में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। जल्द ही वे आस्ट्रेलिया की क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग बिग बेश की एक टीम के लिए चुनी गईं।
उन्होंने महिला क्रिकेट खेलते हुए एक शतक भी लगाया। 2016 में जब उनका नाम आस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट के लिए चलने लगा तो वे टेनिस में लौट गईं। उन्होंने पहला डब्लूटीए खिताब जीता। उसके बाद तो खिताबों की झड़ी लगा दी। वे तेज गति की टेनिस खेलती हैं और खेल पर उनकी मजबूत पकड़ है। उन्हें टेनिस जानकार लंबी रेस का घोड़ा मान रहे थे। ऐसे में उन्होंने आगे न खेलने का फैसला सुना दिया।
बार्टी को लगा कि ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताएं जीतने और नंबर एक बन जाने के बाद कुछ हासिल करना बाकी नहीं रह जाता है और उनके पास इतना समय है कि वे और भी कुछ कर सकती हैं। परन्तु वे पहली खिलाड़ी नहीं है कि उन्होंने कम उम्र में खेल को अलविदा कहा है। इससे पहले जस्टिन हेनिन व अन्य कई खिलाड़ियों ने भी कम उम्र में सफलता के बाद खेल को अलविदा कहा।
दरअसल पेशेवर खेल में जहां सफलता चमकती हुई दिखाई देती है, वहीं खिलाड़ी पर दबाव भी रहता है। खिलाड़ी को मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है। कई खिलाड़ी तो मानसिक तनाव से निपटने के लिए मोटिवेशन प्रोफेशनल की सेवाएं भी लेते हैं। कोरोना काल में तो टेनिस खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव रहने लगा। बार्टी ने 2021 में अपना 90 फीसद समय बायोबबल में गुजारा। वे होटल से सीधे कोर्ट और कोर्ट से सीधे होटल में जाती थीं। इससे घर से दूर रहने और बायोबबल में रहने का तनाव का सामना खिलाड़ी को करना पड़ता था। इस तनाव के बीच उन्होंने आस्ट्रेलियाई ओपन खिताब जीता।
एक खिलाड़ी जो स्वछंद रहना चाहती हो, उसके लिए तनाव झेलना आसान नहीं है। बार्टी क्रिकेट खेलने के अलावा काफी के लिए क्रेजी हैं। वे पेशेवर रूप से काफी बनाना जानती हैं। वे इसके लिए क्वालिफाइड बारिस्ता बन गई हैं। उन्हें खेल के अलावा इस काम में आनंद मिलता है। यह बात हमें माननी चाहिए कि टेनिस व अन्य खेलों में खिलाड़ी को तनाव का सामना करना पड़ता है। खेल से दूर जाने का सबसे बड़ा कारण खेलों में प्रतिस्पर्धा से पैदा होने वाला तनाव और बंदिशें हैं।
इस संबध में खेल प्रशासकों को ध्यान देने की जरूरत है। खेल में प्रतिस्पर्धा से पैदा कारणों को भी दूर करने के प्रयास होने चाहिए। खिलाड़ी के लिए खेल हमेशा हंसी खुशी का साधन बने रहना चाहिए। खेल तनाव दूर करने का साधन होना चाहिए। एश्ले बार्टी को तनावमुक्त कार्य चाहिए जिसमें आनंद मिल सके। ऐसा खेल में भी होना चाहिए।