सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जमाओं के लिए दर में कटौती करने के अपने नवीनतम कदम के साथ जून तिमाही के लिए दो साल में पहली बार छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को कम करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। वित्त मंत्रालय द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए ब्याज दरों पर अंतिम निर्णय गुरुवार तक लिया जाएगा। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
छोटी बचत योजनाओं में डाकघर की आरडी के अलावा पीपीएफ, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि आदि योजनाएं शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि छोटी बचत दरों में कमी का मामला बेहद संवेदनशील है, लेकिन उन्हें लंबे समय तक कृत्रिम रूप से ऊंचा रखना मौजूदा वित्तीय परिदृश्य में चुनौतीपूर्ण है। यही वजह थी कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफओ की दर हाल ही में पिछले वित्त वर्ष के 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1 फीसदी कर दी गई थी।
हालांकि, नीति निर्माताओं और विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती ब्याज दर परिदृश्य को देखते हुए दरों को मौजूदा ऊंचे स्तरों पर बनाए रखने की जरूरत है। यह राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) में अधिक से अधिक प्रवाह को प्रोत्साहित करेगा, जिसे तब राजकोषीय घाटे को आंशिक रूप से वित्त पोषित करने के लिए और अधिक आक्रामक तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि कि हमें और स्पष्टता के लिए थोड़ा और इंतजार करने की जरूरत है। महामारी के बाद लोगों की आय पहले ही घट गई है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें भी बढ़ने वाली हैं। ऐसे में छोटी बचत दरों में कटौती नहीं करनी चाहिए।