पुलिसवालों के काम का अब पब्लिक भी मूल्यांकन करेगी। सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों पर पोल के जरिये पब्लिक यह बताएगी कि उनके इलाके के पुलिसवालों का काम कैसा है? समस्याओं के निस्तारण में पुलिस की कार्यप्रणाली कैसी है? ग्रेडिंग के आधार पर परफार्मेंस तय होगा और नम्बर दिया जाएगा। अच्छा नम्बर मिला तो फिर थानेदारी बचेगी वरना नाकामी का सर्टिफिकेट मिलेगा।
एडीजी गोरखपुर अखिल कुमार ने गोरखपुर जोन स्तर पर ट्रायल के तौर पर इसे एक अप्रैल से लागू किया है। परिणाम अच्छे आए तो इस व्यवस्था को डीजीपी के माध्यम से पूरे प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है।
अभी तक पुलिस की परफार्मेंस सालाना, छमाही या हर महीने आने वाली अपराधों की संख्या या फिर बदमाशों के खिलाफ हुई कार्रवाईयों के आधार पर ही तय किया जाता था पर अब इसी के साथ पब्लिक की राय को भी जोड़ दिया गया है। गोरखपुर जोन के 11 जिलों में पुलिस की परफार्मेंस जानने के लिए पब्लिक पोल का भी सहारा लिया जाएगा।
1-आईजीआरएस पोर्टल
आईजीआरएस पोर्टल पर जो भी शिकायतें दर्ज होती हैं उसके निस्तारित होने पर उसमें पब्लिक की ओपेनियन भी दर्ज होती है कि वो संतुष्ट है या असंतुष्ट है। जिसका डाटा जोन कार्यालय में आता है। इसके आधार पर ग्रेडिंग होगी।
2-ट्वीटर व फेसबुक पोल
एडीजी जिलों की पुलिस के बारे में ट्विटर व फेसबुक पर लोगों की राय जानेंगे। एडीजी जोन व जिले की पुलिस के हैंडल पर पोल का आप्शन दिया जाएगा। जिसमें एक्सीलेंट, गुड, एवरेज व कोई राय नहीं का विकल्प आएगा। जिसपर लोग अपनी राय देंगे जो सीधे एडीजी के पास आएगा। इसमें पोल में भाग लेने वाले की नाम आदि गोपनीय रहेगा। यह हर माह की 1 से 7 तारीख तक चलेगा। इन 7 दिनों के अंत में जो औसत आएगा वही उस जिले का नंबर होगा।
3-डिजिटल प्लेटफार्म के अन्य माध्यम से पोल
वहीं इस पोल को डिजिटल प्लेटफार्म के अन्य माध्यम जैसे व्हाटसएप ग्रुपों व बीट ?पुलिसकर्मियों के व्हाटसएप ग्रुप पर लिंक डालकर पोल कराया जाएगा। वहीं अखबारों व सोशल मीडिया न्यूज एप में क्यूआर कोड के जरिए भी पोल कराया जाएगा।
4-एफआईआर व एनसीआर के वादियों के पास फोन कर
सभी थानों में दर्ज एफआईआर व एनसीआर के वादियों को फोन कर फीडबैक लिया जाएगा कि वह थाने पर गए तो केस दर्ज होने के बाद हुई कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं या नहीं। पुलिस का व्यवहार कैसा रहा यह जाना जाएगा। इस फीड बैक को 100 अंकों में बदलकर ग्रेडिंग होगी।
5-डॉयल 112 का रिस्पांस टाइम
डायल 112 के पीआरवी के रिस्पांस टाइम व पीड़ित के संतुष्ट व असंतुष्ट होने के फीडबैक के आधार पर भी ग्रेडिंग तय होगी। यह रिस्पांस टाइम हर माह जारी होता है। इसे भी 100 अंकों में बदलकर ग्रेडिंग में शामिल किया जाएगा।