आजकल ज्यादातर लेनदेन डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए हो रहा है। लेकिन फिर भी बड़े अमाउंट के लेनदेन के लिए अभी भी चेक पर ज्यादा भरोसा किया जाता है। इसके पीछे कई बड़ी वजह है। जिसमें से सबसे बड़ी एक वजह है फ्रॉड से बचना और बैंक और अपने पास रिकॉर्ड का उपलब्ध होना। लेकिन अक्सर लोग चेक से लेनदेन को हल्के में लेते है और उनका चेक अकाउंट में पर्याप्त बैलेस ना होने की वजह से बाउंस हो जाता है। जिसके बाद उन्हें पेनल्टी तो देनी ही पड़ती है साथ में कई बार सजा काटने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में हम आपको आरबीआई के नियम के अनुसार चेक बाउंट होने पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में बता रहे हैं।
चेक बाउंस होना है अपराध- RBI के नियम के अनुसार चेक बाउंस होना धारा 138 के तरह दंडनीय अपराध है। इसमें खाताधारक पर पेनल्टी तो लगती है साथ में पेनल्टी और 2 साल तक की सजा भी हो सकती है। अगर आप कानूनी कार्रवाई से बचना चाहते हैं। तो हमेशा चेक देते समय अपने अकाउंट में पर्याप्त बैलेस रखें।
चेक बाउंस होने पर कितनी लगती है पेनल्टी – चेक बाउंस होने पर पेनल्टी की रकम अकाउंट से काटी जाती है। साथ ही चेक बाउन्स होने की सूचना आपको देनदार को भी देनी होती है और चेक देने वाले को एक महीने के अंदर भुगतान करना अनीवार्य होता है। अगर महीने में चेक में लिखी गई रकम का भुगतान नहीं होता। तो आपको लीगल नोटिस मिल सकता है। जिसका जवाब नहीं देने पर आपके खिलाफ Negotiable Instrument Act 1881 के सेक्शन 138 के तहत मामला (केस) दायर किया जा सकता है।
पेनल्टी के साथ दो साल की सजा का प्रावधान – चेक बाउंस होने पर धारा 138 के तरह मामला दर्ज हो सकता है। जिसमें जुर्माना या दो साल की सजा या फिर दोनों निर्धारित की जा सकती है। आपको बता दें चेक बाउंस होने की स्थिति में जिस शहर में आपको अकाउंट है वहीं मामला दर्ज होगा।
3 महीने होती है चेक की वेलिडिटी – जिस तारीख का चेक काटा जाता है। उस दिन से तीन महीने तक चेक की वेलिडिटी रहती है। अगर आप इस दौरान अकाउंट से चेक कैश नहीं कराते हैं। तो चेक अपने आप कैंसल हो जाता है। इस स्थिति में कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। आपको बता दें इससे पहले चेक की वेलिडिटी 6 महीने की होती थी।