भारत में त्यौहारों का मौसम शुरू हो चुका है. कल यानि गुरुवार को दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा, भाई दूज और फिर देवोत्थान के बाद शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है. लिहाजा त्यौहारों पर मिठाई न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता. दिवाली से शुरू होने वाले इन त्यौहारों में न केवल लोग अपने-अपने घरों पर मिठाइयां बनाते हैं बल्कि एक दूसरे को उपहार में भी मिठाई देकर मुंह मीठा कराने की परंपरा निभाते हैं. ऐसे में यह सीजन डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए मुश्किल हो जाता है. मीठा खाने का मन होने के बावजूद भी उन्हें मिठाई से दूर रहना पड़ता है. हालांकि डायबिटीज से जूझ रहे मरीज अगर विशेषज्ञों के बताए रास्ते पर चलें तो वे न केवल इस त्यौहारी सीजन में मिठाइयां खा सकते हैं बल्कि अपने शुगर लेवल को भी नियंत्रित रख सकते हैं.
एंडोक्राइन सोसायटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और जाने माने एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय कालरा कहते हैं कि मीठा खाने का सभी का मन करता है. खासकर उन लोगों का जो डायबिटीज के साथ जिंदगी बिताते हैं. कुछ हद तक मीठा खाने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन अगर कोई व्यक्ति जिसे डायबिटीज है वह ज्यादा मीठा खाता है तो इससे ग्लेकोज का स्तर बढ़ जाता है और कई जटिलताएं आ जाती हैं. हालांकि आज मीठे की भूख या तलब कम करने के बहुत सारे तरीके हैं. इनके बारे में जानना जरूरी है.
डायबिटिक मरीजों के लिए जरूरी हैं ये चार पी
डॉ. संजय कहते हैं कि कलिनरी साइंस या कुकिंग किट में इन जरूरी बातों का जिक्र है. अगर इन चार पी का ध्यान रखा जाए तो डायबिटिक मरीजों को दिक्कतें नहीं आएंगी. पहला प्रॉक्योरमेंट ऑफ फूड, दूसरा है प्रिपरेशन ऑफ फूड, तीसरा है प्लेटिंग या प्रेजेंटेशन ऑफ फूड और चौथा है प्रिजर्वेशन ऑफ फूड.