रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने कहा कि तालिबान (Taliban) को आतंकवादी सूची से बाहर करने की संभावना है. अब तालिबान ने रूसी राष्ट्रपति की इस टिप्पणी का स्वागत किया है. रूसी समाचार एजेंसी तास ने बताया कि पुतिन ने इंटरनेशनल वल्दाई क्लब (International Valdai Club) की एक बैठक में बोलते हुए कहा कि तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाना (Taliban Removal from terror List) संभव है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के स्तर पर होना चाहिए.
तालिबान की अंतरिम सरकार में अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बाल्खी ने रविवार को कहा, ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) का विदेश मंत्रालय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की टिप्पणी का स्वागत करता है, जिसमें IEA नेताओं के नामों को ब्लैकलिस्ट से बाहर करने का जिक्र किया गया.’ तालिबान के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, ‘जैसे-जैसे युद्ध का अध्याय समाप्त हो गया है, वैसे ही विश्व के देशों को भी अफगानिस्तान के प्रति अपने संबंधों और दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए. हम पारस्परिकता के सिद्धांत के आधार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सकारात्मक संबंध चाहते हैं.’
पुतिन ने कहा है कि रूस तालिबान को चरमपंथी समूहों की सूची से हटाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम सभी उम्मीद करते हैं कि तालिबान, जो निस्संदेह अफगानिस्तान में नियंत्रण की स्थिति में हैं. ये सुनिश्चित करेगा कि स्थिति सकारात्मक रूप से विकसित हो.’ तालिबान ने अगस्त में काबुल (Kabul) पर कब्जा जमा लिया और उन्होंने सितंबर में इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (Islamic Emirate of Afghanistan) की अंतरिम सरकार की घोषणा की. संगठन के कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने देश छोड़ा है और अभी भी कई लोग ऐसे हैं, जो ऐसा करने के लिए इच्छुक हैं.
तालिबान अपनी सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने के लिए जोर दे रहा है. हालांकि, विश्व समुदाय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तालिबान को किसी भी मान्यता से पहले किए गए वादों को पूरा करना होगा. दरअसल, तालिबान के राज में अत्याचार की कई तरह की खबरें सामने आई हैं. इसमें महिलाओं के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी और पत्रकारों पर हमले शामिल हैं.
हालांकि, तालिबान का कहना है कि वह इन पर काबू करने का प्रयास कर रहा है. तालिबान के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इसके बाद ही अफगानिस्तान के लिए विदेशी मदद आ सकेगी.