अगले साल यानी साल 2022 के फरवरी और मार्च महीने में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के आसार हैं उनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा शामिल हैं। इनमें से पंजाब को छोड़कर अन्य चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले से ही सत्ता में है। बहरहाल आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बुधवार को दिल्ली स्थित बीजेपी वॉर रूम में एक बैठक हुई। इस बैठक में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ठोस रणनीति बनाने पर चर्चा हुई।
भाजपा पहले से पंजाब को छोड़कर कम से कम तीन राज्यों में आराम से वापसी की उम्मीद कर रही है। उसे एकमात्र संभावित चुनौती राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में मिलने की उम्मीद है। तो सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश की ही कर लेते हैं।
यूपी में भाजपा को चुनौती मिलेगी?
यूपी में कुछ वक्त पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पार्टी में असंतोष की सुगबुगाहट सामने आई थी। हालांकि, पार्टी जल्दी ही इस संकट से बाहर भी आ गई थी। कहा जाता है कि यह पार्टी नेतृत्व और गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि अपना दल और पार्टी के अंदर का विरोधी धड़ा लाइन पर आ गया। निषाद पार्टी भी अपना रुख साफ कर चुकी है। यूपी में पार्टी के लिए सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुए लखीमपुर खीरी कांड से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
बीजेपी इस बार भी विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को अपना चेहरा बनाएघी। आदित्यनाथ के कार्यकाल के शुरूआत में ब्राह्मण विभिन्न वजहों से नाराज होता चला गया जिसे फिर से पूरी तरह से अपने पाले में करने के लिए बीजेपी पूरी मेहनत कर रही है। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस जाति को पाले में करने के लिए बीजेपी ने यूपी कैबिनेट में कई ब्राह्मण चेहरों को जगह दी, यूपी से ही ताल्लुक रखने वाले लखीमपुर खीरी के सांसद अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय सरकार में जगह दी। लेकिन किसान आंदोलन के दौरान किसानों के कुचलकर मारे जाने की घटना ने नेतृत्व को एक बार फिर परेशान कर दिया है।
गोवा जाएंगे अमित शाह
गोवा की बात करें तो गृह मंत्री अमित शाह अगले साल गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की तैयारियों की जल्द ही समीक्षा करेंगे। पार्टी के गोवा चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को यह जानकारी दी। वह गुरुवार को राज्य के दौरे पर होंगे। इस दौरान कुछ सरकारी कार्यक्रम और पार्टी कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। वह पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों से भी मुलाकात करेंगे।
उत्तराखंड में प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद
उत्तराखंड की बात करें तो बीजेपी ने यहां मुख्यमंत्री का चेहरा कुछ वक्त पहले ही बदला है। लेकिन भाजपा को पार्टी के अंदर अनुशासनहीनता के मामलों से हाल के दिनों में जूझना पड़ा है। यहां कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर है। कांग्रेस यहां टूट और अंदरुनी गुटबाजी से परेशान है। वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई भाजपा के सामने अगले साल होने वाले चुनाव में ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने जन आशीर्वाद रैलियों के आयोजन के साथ ही बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय किया है।
पंजाब में जीत मुश्किल
पंजाब की बात करें तो अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद पंजाब में भाजपा के लिए अब अपना वजूद कायम रखना और सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती होगा। सूबे में स्थापित हो चुकी तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों से टक्कर लेनी होगी और अपने आठ प्रतिशत वोट से 30 फीसदी तक लाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। यहां भले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया हो लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के तौर पर एक दलित चेहरे को सीएम बना कांग्रेस ने बीजेपी के लिए राहें कतई भी आसान नहीं रखी हैं।
मणिपुर में काम के बदले वोट की उम्मीद
मणिपुर में भाजपा को उम्मीद है कि यहां जनता उनके चार साल के कामों की वजह से वोट करेगी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुछ वक्त पहले मणिपुर का दौरा किया था और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि ‘हमारी सरकार के बनने से पहले मणिपुर में भ्रष्टाचार, कमीशन और अपराधीकरण का बोलबाला था। अपहरण के मामले पुलिस थानों के बाहर हल होते थे. यही राज्य की जमीनी हकीकत थी। यहां कोई विकास नहीं हुआ था।’ नड्डा ने खुद यहां पार्टी के कोर समूह के नेताओं के अलावा पार्टी के सांसदों व विधायकों से भी चर्चा की थी।