देहरादून। उत्तराखंड में चुनावी साल में दलबदल को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दल-बदल के सहारे भी राजनीतिक दल खुद को मजबूत करने जुटे हैं। कोई नेता मोदी सरकार की नीति से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हो रहा है। तो कोई लोकतंत्र को बचाने के लिए कांग्रेस ज्वाइन कर रहा है। इससे प्रदेश में इन दिनों राजनीति चरम पर है। अभी और भी नेताओं को पार्टी छोड़ने और शामिल होने की अटकलें सियासी गलियारों में अटकलें जारी हैं।
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस कांग्रेस के शामिल होने के बाद प्रदेश में और भी बड़े नेताओं के दल-बदल के कयास लगाये जा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि ये तो ‘पिक्चर’ अभी बाकी है।
इस दल बदल ने प्रदेश में नये सियासी समीकरण बना दिए हैं। आने वाले दिनों में इस दल-बदल के साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं। इसकी शुरू देखने को मिलने लगी है और आने वाले दिनों में इसको लेकर घमासान देखने को मिल सकता है।
इस बाद दलबदल की शुरूआत भाजपा से हुई। भाजपा ने धनोल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार को अपने पाले में लाकर कांग्रेस को चुनौती दे डाली। प्रीतम पंवार कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। प्रीतम धनोल्टी विधानसभा से पहले यमुनोत्री का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस सीट पर भाजपा के विधायक हैं। अब भाजपा के स्थानीय नेताओं को धनोल्टी और यमुनोत्री दोनों सीटों पर अपनी जमीन खिसकती हुई नजर आने लगी है। जिसका असर चुनाव से पहले भी दिख सकता है।
प्रीतम के बाद कांग्रेस के विधायक राजकुमार ने भाजपा ज्वाइन की। जो कि पुरोला सुरक्षित सीट से विधायक थे। इससे पहले राजकुमार सहसपुर से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन अब वे देहरादून की राजपुर से भी कोशिश कर रहे हैं। इस तरह से राजकुमार के आने से भाजपा की 3 विधानसभा सीटों पर असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। पहली पुरोला, दूसरी सहसपुर और तीसरी राजपुर। सहसपुर और राजपुर सीट पर भाजपा के सिटिंग विधायक और पुरोला सीट पर पूर्व प्रत्याशी भी अब अपने टिकट को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं।
राजकुमार के बाद भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा भाजपा में आए। जिनका लंबे समय से भाजपा में आने का विरोध हो रहा है। और पार्टी ज्वाइन करने के बाद भी लगातार क्षेत्र में विरोध की खबरें आ रही है। 5 साल तक पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो तैयारी की, उसको लेकर अब पार्टी उम्मीदवारों में नाराजगी है।
अब बात कांग्रेस की। कांग्रेस ने एक साथ 2 विधायक यशपाल आर्य और संजीव आर्य को अपने पाले में लाया। यशपाल बाजपुर और संजीव नैनीताल सीट से विधायक हैं। दोनों सीटों पर कांग्रेस का गणित गड़बडाया गया है। सबसे ज्यादा विरोध नैनीताल सीट पर है।
नैनीताल से कांग्रेस की महिला मोर्चा अध्यक्ष सरिता आर्य चुनाव लड़ चुकी है। अब चुनाव से पहले संजीव के आने से सरिता को टिकट कटने का डर सताने लगा है। सरिता ने इसको लेकर जमकर विरोध भी शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं कांग्रेस के कई बड़े नेता पिता पुत्र की घर वापसी को भी पचा नहीं पा रहे हैं। जिसका नुकसान आने वाले दिनों में कांग्रेस को हो सकता है। फिलहाल तो पिता पुत्र के कांग्रेस में आने से 2 सीटों पर समीकरण बदल गए हैं।