अमेरिका से जारी व्यापार युद्ध पर चीन ने सख्त रुख अपना लिया है। उसने अमेरिका से कहा है कि दोनों देशों के व्यापार संबंध तभी सुधर सकते हैं, अगर अमेरिका चीनी कंपनियों पर लगाए प्रतिबंधों को हटाए। अमेरिका और चीन के प्रमुख व्यापार प्रतिनिधियों के बीच छह से नौ अक्तूबर तक बातचीत हुई। उसके बाद चीनी मीडिया ने इस बारे में प्रकाशित टिप्पणियों में सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया है।
चीन के सरकारी मीडिया ने व्यापार वार्ता के बारे में कई टिप्पणियां छापी हैं। उनके मुताबिक चीन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका की इच्छा के मुताबिक चीन अपने हाईटेक सेक्टर का विकास नहीं रोकेगा। चीन ने यह भी साफ किया है कि अगर अमेरिका समानता के नजरिए के साथ पेश आया, तो चीन उससे बातचीत जारी रखेगा। इन टिप्पणियों के मुताबिक चीन ने अमेरिका के इस आरोप को ठुकरा दिया कि वह बाजार आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है।
अमेरिकी की तरफ व्यापार वार्ता में बाइडन प्रशासन की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाय और चीन की तरफ से वहां के व्यापार प्रतिनिधि लिउ हे ने अपने-अपने दलों का नेतृत्व किया। इस दौरान अमेरिका और चीन के मौजूदा आर्थिक और व्यापार समझौतों की समीक्षा की गई। इस पर सहमति बनी कि मतभेद के मुद्दों पर दोनों पक्ष राय-मशविरा जारी रखेंगे। कैथरीन टाय ने इस दौरान अमेरिका की चिंताएं बताईं। उन्होंने कहा कि चीन में सरकारी नेतृत्व वाली, गैर-बाजार नीतियों और व्यवहारों से अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंच रहा है।
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि चीनी दल ने मांग की कि अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर जो अतिरिक्त शुल्क और प्रतिबंध लगा रखे हैं, उन्हें वह हटाए। इस एजेंसी के मुताबिक इसके साथ ही चीनी दल ने चीन के आर्थिक विकास मॉडल और औद्योगिक नीति की व्याख्या प्रस्तुत की। उसने कहा कि चीन इनका पालन करना जारी रखेगा।
चीन के सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि अमेरिका के साथ समानता के स्तर पर बातचीत करके व्यापार वार्ता में चीन ने आत्म-विश्वास हासिल किया है। उसने कहा- चीन इस बारे में फैसला इस बात के आकलन से करेगा कि अमेरिका-चीन संबंधों को सुधारने को लेकर जो बाइडन प्रशासन कितना गंभीर है। इस बात का संकेत इससे ही मिलेगा कि क्या अमेरिका चीनी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क हटाता है और क्या वह चीनी कंपनियों को अपनी प्रतिबंध की सूची से बाहर करता है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा- चीन की आर्थिक व्यवस्था और औद्योगिक नीति को ‘राज्य केंद्रित’, ‘तानाशाही’ और ‘गैर-बाजार नजरिए से संचालित’ बता कर अमेरिका खुद अपने हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार पीपुल्स डेली ने भी इस बारे में एक टिप्पणी प्रकाशित की है। उसने कहा है कि अमेरिका को खुश करने के लिए चीन खुद को नुकसान पहुंचाने वाली नीति नहीं अपनाएगा। अखबार ने कहा- ‘’टाय-लिउ वार्ता के दौरान अमेरिका ने एक बार फिर अनियंत्रित शब्दों का इस्तेमाल किया और चीन के सामने अतार्किक मांगें रखीं। अमेरिका चाहता है कि चीन अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए अपनी राष्ट्रीय नीतियां बदल दे। लेकिन ऐसा करना हमारे लिए कठिन है।’