वैसे तो दिल्ली में घूमने के लिए बहुत कुछ है, जहां हर साल लाखों सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। दिल्ली में स्थित लाल किला, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, जामा मस्जिद आदि जगहों पर तो हर दिन हजारों पर्यटक परिवार, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन जब बात हॉन्टेड प्लेस की आती है, तो पर्यटकों घूमने के लिए काफी उत्सुक दिखाई देते हैं। इस बार आप दिल्ली में मौजूद कुछ भुतहा जगहों पर भी घूमने के लिए प्लान बना सकते हैं। आपने हॉन्टेड जगहों में सबसे प्रसिद्ध जगहों में भानगढ़ का किला, अग्रसेन की बावली और पूराना किले का नाम तो आपने सुना ही होगा और शायद आप घूमने भी गए होंगे, लेकिन क्या आपने दिल्ली में स्थित भूली भटियारी महल के बारे में सुना है, अगर नहीं तो चलिए जानते हैं।
भूली भटियारी का महल का रोचक इतिहास
इस महल का इतिहास बहुत रोचक है, जिसे लगभग 14 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। यह महल में स्थित है। कहा जाता है कि उस समय तुगलक शासकों इसे शिकार लॉज के रूप में इसका इस्तेमाल किया करते थे और इसी स्थान पर जानवरों को मारकर भी रखा जाता था। लेकिन, तुगलक शासकों के बाद यह महल खंडहर के रूप में तब्दील हो गया और लोगों के लिए बेहद ही डरावनी जगह बन गया। कहा जाता है कि आज भी इस महल से जानवरों की अजीबो-गरीब आवजें सुनाई देती हैं। यह जगह दिन में भी डरावनी लगती है इसलिए लोग इसे दूर-दूर से देखने आते हैं।
कैसे पड़ा भूली भटियारी नाम
कहा जाता है कि राजस्थान से एक भूरी नामक भटियारी जनजाति की महिला रास्ता भटक गई थी और वह इस महल में आकर रहने लगी थी। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही महिला ने यहीं दम तोड़ दिया था। कहा जाता है कि इस महिला की आत्मा ने महल में भटकती रहती है। शायद, इसे इसलिए भूली भटियारी का महल कहा जाने लगा।
कैसी है वास्तुकला?
दिल्ली में बसी यह इमारत करीब सात सौ साल पुरानी है, जो इस्लामिक विरासत का एक नमूना है, इस महल का नाम दिल्ली के डरावने स्थलों में शामिल है। अगर हम इस महल की वास्तुकला की बात करें, तो भूली भटियारी का महल लाल पत्थर से बना हुआ है, जो कभी शाही लोगों की शिकारगाह हुआ करता था। इस किले के दो प्रवेश द्वार हैं। सबसे पहले प्रवेश द्वार से अंदर घुसने पर आपको एक बहुत छोटा सा अहाता दिखाई देगा साथ ही, आपको इस महल में प्रवेश करने का मुख्य द्वार मिलेगा। यहां से अंदर आने के बाद आपको एक बड़ा-सा आंगन दिखाई देगा। इसके अलावा, आंगन के चारों ओर छोटे छोटे कमरे बने हुए हैं। इस महल के उत्तर की ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं, जो आपको एक चबूतरे की तरफ लेकर जाती हैं। हालांकि, यह महल अब लोगों के लिए बन गया है।
रात में लोगों का यह है मिथ
इस महल को लेकर कहा जाता है कि जैसे ही रात होती है वैसे ही यहां से अजीबोगरीब आवाज़े आना शुरू हो जाती हैं साथ ही, यह जगह रात के अंधेरे में और भी ज्यादा डरावनी और खतरनाक लगती है। इसलिए,रात को यहां दूर-दूर तक कोई नहीं भटकता नहीं है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस महल से अजीबोगरीब प्रकार की भूताह घटनाएं भी होने लगती हैं और यहां से कुछ जानवरों की भी आवाजें आती हैं, जो इस जगह को डरावना बनाती हैं।
कैसे पहुंचें?
अगर आप मेट्रो से जाना चाहते हैं, तो आप झंडेवालान मेट्रो तक जा सकते हैं। फिर वहां से आप पैदल रास्ता तय कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपनी गाड़ी से भी यहां जा सकते हैं या बस से झंडेवालान तक जा सकते हैं।
खुलने का समय: सुबह 8 बजे से 5.30 बजे
अवकाश: कोई अवकाश नहीं। साल में 365 दिन खुला रहता है।
प्रवेश टिकट: निशुल्क
आप इस जगह पर अपने दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बना सकते हैं। साथ ही, आप यहां हनुमान की प्रतिमा के भी दर्शन कर सकते हैं, जो इस महल के पास ही में स्थित है। यहां हनुमान की पूजा भी कर सकते हैं। आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेखपढ़ने के लिए जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।