भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राकेश टिकैत तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। इस नेतृत्व के दौरान वह एक तेजतर्रार किसान नेता के रूप में उभरे हैं। उन्होंने अब अपने व्यक्तित्व के दूसरे पक्ष को दिखाया है। वह लखीमपुर खीरी मामले में एक चतुर मध्यस्थ बने, जिसने राज्य सरकार को इलाके में तनाव कम करने में मदद की।
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद एक वक्त ऐसा भी लगा कि चुनावी मौसम में योगी सरकार की इसकी भारी सियासी कीमत चुकानी पड़ेगी, पर ऐन वक्त पर योगी सरकार ने विपक्ष के सारे प्लान को ध्वस्त कर दिया। सूत्रों के अनुसार, टिकैत ने जैसे लखीमपुर खीरी जाने का ऐलान किया। यूपी सरकार के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें एक आसान मार्ग प्रदान किया जाएगा। विचार यह था कि चूंकि यह मुद्दा किसानों से संबंधित है, इसलिए टिकैत को खीरी पहुंचने से नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि उनके आंदोलन में कोई भी बाधा किसानों को और अधिक उत्तेजित कर सकती है।
बनते-बनते बिगड़ी बात
लखीमपुर कांड को लेकर राज्य सरकार और मृतक के परिजनों के बीच मंगलवार को बात बन गई। चार किसानों में तीन के परिवारवालों ने मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया था। हालांकि बहराइच के गुरविंदर सिंह के परिवारीजनों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए अंतिम संस्कार से मना कर दिया था। घरवालों ने आरोप लगाया था कि गुरविंदर की मौत गोली लगने से हुई है लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है। इसके बाद मामला फिर बिगड़ गया।
राकेश टिकैत ने दाह संस्कार के लिए मनाया
मृतक के परिजनों ने जब दाह संस्कार से इनकार कर दिया तो इस दौरान राकेश टिकैत ने अहम रोल निभाया। वह एक-एक पीड़ित परिवार के घर गए और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए मना दिया। उसके बाद उन्होंने एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
योगी सरकार ने क्यों जताया राकेश टिकैत पर भरोसा?
राकेश टिकैत ने जैसे लखीमपुर खीरी जाने का ऐलान किया। यूपी सरकार के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया। चूंकि यह मुद्दा किसानों से संबंधित है, इसलिए टिकैत को खीरी पहुंचने से नहीं रोका नहीं गया। माना गया उन्हें रोकने का मतलब किसानों को और अधिक उत्तेजित करना होगा। हालांकि योगी सरकार ने जिस तरह सिर्फ राकेश टिकैत को छोड़कर हर किसी को लखीमपुर जाने से रोका उससे हर कई चकित था।
ऐसे सरकार और राकेश टिकैत के बीच सेतु बने अजयपाल शर्मा
राकेश टिकैत के पश्चिम यूपी क्षेत्र में पहले तैनात रहे कई अधिकारियों के साथ अच्छे संबंधों की बात सामने आई। बताया जाता है कि आईपीएस अजयपाल शर्मा को आगे किया गया। उनके राकेश टिकैत के साथ अच्छे संबंध हैं। अजयपाल शर्मा जब नोएडा में एसएसपी थे तब से उनकी राकेश टिकैत के साथ अच्छी बनती है। ऐसे में उन्होंने मोर्चा संभाला। टिकैत 3 अक्टूबर की रात खीरी पहुंचे। अजयपाल शर्मा को भी यहां भेजा गया। बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत और सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका अजयपाल शर्मा ने भी निभाई, जो इन दिनों यूपी की ‘डायल 112’ में तैनात हैं।सेवा में तैनात हैं। उन्हें वहां उनके पिछले संपर्कों को देखते हुए लखीमपुर भेज दिया गया था।
लखीमपुर खीरी और इससे जुड़े जिलों में चार IPS ने संभाला मोर्चा
लखीमपुर और उससे सटे पीलीभीत, बहराइच व सीतापुर में तनाव को देखते हुए डीजीपी मुख्यालय ने कई अफसरों को इन जिलों में कैंप करने के लिए भेजा गया है। इनमें आईजी राकेश सिंह को बहराइच, डीआईजी उपेन्द्र अग्रवाल को लखीमपुर, डीआईजी 1090 रविशंकर छवि को सीतापुर, एसपी-112 अजयपाल शर्मा को पीलीभीत, एएसपी राम सुरेश को सीतापुर और एएसपी-112 अरविंद पांडेय को खीरी में कैंप करने के लिए भेजा गया है। हालात सामान्य होने तक ये अफसर वहीं कैंप करेंगे।