तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने और नई सरकार के गठन के बाद भी उसे अभी तक विदेशी देशों से मान्यता मिलने का इंतजार है। सरकार के गठन के एक महिने से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अभी तक कोई भी देश उसे मान्यता नहीं दे पाया है। लेकिन अब दुनिया के दो देश पाकिस्तान और कतर तालिबान कैबिनेट को मान्यता देने वाले पहले देश हो सकते हैं।
घटनाक्रम से परिचित लोगों ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभाने वाला तुर्की अभी मान्यता नहीं देगा। तुर्की ने काबुल हवाई अड्डे को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने कहा कि पाकिस्तान और कतर तालिबान की अंतरिम कैबिनेट को मान्यता देने वाले पहले दो देश बन सकते हैं। जिम्मेदारियों के बंटवारे और सत्ता के बंटवारे को लेकर तालिबान के भीतर मतभेदों की खबरों के बाद दोनों देश अपने नेताओं को अफगानिस्तान भेजे हैं।
पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) एजेंसी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद सितंबर की शुरुआत में तालिबान नेतृत्व के भीतर एक शासी व्यवस्था के गठन को लेकर मतभेदों की रिपोर्ट सामने आने के तुरंत बाद अफगानिस्तान पहुंचे थे। वहीं, कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने लगभग एक सप्ताह बाद काबुल का दौरा किया, और प्रधान मंत्री मोहम्मद हसन अखुंद सहित तालिबान के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत की।
लोगों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद ने काबुल में तालिबानी नेताओं को एक साथ लाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के कंधार गुट के कट्टरपंथियों को अधिकांश महत्वपूर्ण पद दिए गए थे। बता दें कि पाकिस्तान और कतर दोनों तालिबान से जुड़ने के लिए विश्व समुदाय की पैरवी करते रहे हैं।
अल-जजीरा के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को काबुल में ‘नई वास्तविकता’ के साथ जुड़ना होगा और अफगानिस्तान की संपत्ति को अनफ्रीज करना होगा ताकि देश मानवीय संकट से निपट सके। इससे परिचित लोगों का कहना है कि तालिबानी सरकार को मान्यता देने के लिए तुर्की अभी और इंतजार करेगा। वो बारिकी से अफगानिस्तान पर नजर रख रहा है।