Adani Group की प्रमुख कंपनी Adani Port and Special Economic Zone (APSEZ) ने श्रीलंका में एक बड़ी डील क्रैक की है. कंपनी को एक ऐसे बंदरगाह को विकसित करने और संचालन की जिम्मेदारी मिली है जो चीन के खिलाफ सामरिक दृष्टि से भी काफी अहमियत रखता है.
लंका में अडानी का डंका
अडानी ग्रुप ने श्रीलंका की सरकारी कंपनी श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के साथ Western Container Terminal को विकसित करने और इसके संचालन के लिए एक समझौता किया. इसी के साथ APSEZ श्रीलंका में किसी बंदरगाह टर्मिनल की जिम्मेदारी संभालने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई. श्रीलंका में ये टर्मिनल कोलंबो बंदरगाह पर स्थित है.
WCT में अडानी की 51% हिस्सेदारी
Western Container Terminal (WCT) में अडानी ग्रुप की 51% हिस्सेदारी होगी. APSEZ स्थानीय कंपनी जॉन कील्स होल्डिंग्स और एसएलपीए के साथ मिलकर इस टर्मिनल को बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) के आधार पर विकसित करेगी. इस परियोजना में स्थानीय साझेदारों की हिस्सेदारी क्रमश: 34 व 15 फीसदी हिस्सेदारी होगी.
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है ये बंदरगाह
श्रीलंका का कोलंबो बंदरगाह भारतीय कंटेनरों और मेनलाइन शिप ऑपरेटरों के बहुत काम का है. ये ट्रांसशिपमेंट के लिए उनकी पहली पसंद है. इसके अलावा चीन के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते दखल को सीमित रखने के लिए भारत और जापान समेत चार देशों ने Quad समूह गठित किया है. इसकी बैठक में शामिल होने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा भी की. इस समूह में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. ऐसे में सिर्फ श्रीलंका का ये बंदरगाह सामरिक महत्व भी रखता है.
चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के तहत श्रीलंका में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी निवेश किया है. चीन ने श्रीलंका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 8 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 594 अरब रुपये) का निवेश किया है. कोलंबो ने कर्ज की अदला-बदली के तौर पर 2017 में अपना हंबनटोटा बंदरगाह बीजिंग को सौंप दिया था.