सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। अदालत ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वहीं केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है।
क्या विरोध करना एक पूर्ण अधिकार, इसकी होगी जांच: अदालत
वहीं किसान महापंचायत को जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है।
कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक तो फिर प्रदर्शन क्यों: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत से पूछा कि जब हमने तीन कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगा रखी है, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है। इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्या मतलब है? सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन क्यों जारी है?
43 किसान संगठनों को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के कारण दिल्ली से नोएडा के बीच सड़कों की नाकेबंदी के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया। दरअसल इस याचिका में इन किसान संगठनों से भी पक्षकार बनने के लिए कहा गया है।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन पर उठाया था सवाल
बता दें कि इससे पहले एक अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में जंतर- मंतर पर प्रदर्शन की मांग करने वाले किसानों (किसान महापंचायत) के रुख पर आपत्ति जताई थी जो अदालतों में कानूनों की वैधता को चुनौती देने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत संगठन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लंबे समय से विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आकर उत्पात मचाना चाहते हैं। क्या शहर के लोग अपना कारोबार बंद कर दें या आपके प्रदर्शन से लोग खुश होंगे।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक बार कानूनों को अदालतों में चुनौती देने के बाद विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास करना चाहिए।पीठ ने कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले आप शहर के बाहर सड़कों को अवरोध किया और अब आप शहर के भीतर आना चाहते हैं।