चंद मिनटों में मौत ऐसा मंजर सामने आया जिसे बयां करते-करते किसानों की आंख में आक्रोश भरे आंसू आ जाते हैं। पीलीभीत जिले के पूरनपुर के तमाम किसान लखीमपुर जिले में घटनास्थल पर मौजूद थे। किसानों ने बताया कि गाड़ियां किसानों को कुचलते हुए आगे बढ़ रही थीं। चीखें निकलीं तो मौत का मंजर सामने आ गया।
टकराव में आठ लोगों की मौत
आपको बता दें कि कृषि कानूनों और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की टिप्पणी का विरोध कर रहे किसानों और मंत्री के बेटे के काफिले के बीच रविवार को हिंसक टकराव हो गया। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में हुए बवाल के दौरान मंत्री के बेटे आशीष मिश्र की गाड़ी से कुचलकर चार किसानों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। जानबूझकर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगाते हुए गुस्साए किसानों ने मंत्री के बेटे की गाड़ियों में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी। किसानों के मुताबिक, मंत्री के बेटे ने खेतों में भागकर जान बचाई, लेकिन इस दौरान हुई पिटाई से चालक सहित और तीन भाजपाइयों की भी मौत हो गई। दस से ज्यादा घायल किसानों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
करीब तीन से साढ़े तीन बजे का समय रहा होगा। मैं पूरनपुर क्षेत्र के किसानों के संग करीब था। तिकुनिया के अग्रसेन क्रीडा स्थल पर संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्ता थे। कई किसान हाथों में काले झंडे लिए हुए थे। वे रुक-रुक कर नारेबाजी कर रहे थे। मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी और पुलिसकर्मी हमसे कह रहे थे कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर लेना लेकिन अचानक तेज रफ्तार के साथ दो-तीन गाड़ियां आई। सड़क के किनारे खड़े किसानों को कुचलती हुईं चली गईं। इसमें दो गाड़ियां किसानों को कुचलने के बाद अपना संतुलन खो बैठीं और पलट गई। गोलियां चलने की आवाज भी आई। मौके पर भगदड़ मच गई। घायल किसानों को उठाया, पुलिस और प्रशासन की गाड़ियों से अस्पताल भेजा गया।-कुलवंत सिंह, भाकियू के तहसील स्तरीय पदाधिकारी
मैंने अपनी आंखों से पूरा मंजर देखा है। किसानों की सभा समापन की ओर थी और किसान अपने-अपने घरों की ओर जाने वाले थे। प्रशासन ने भी विरोध-प्रदर्शन के चलते मंत्री के काफिले का रूट डायवर्ट कर दिया था, लेकिन अचानक तीन लग्जरी गाड़ियां आईं। इन गाड़ियों ने सड़क के किनारे खड़े किसानों को कुचला तो लोग जान बचाने के लिए खेतों की और दौड़ पड़े। कई लोग नाले में गिर गए। ऐसा लगता है कि मंत्री ने किसानों को सबक सिखाने के लिए जो बयान दिया था, उसी बयान को उनके बेटे ने सच कर दिखाया। जब किसानों को कुचला गया तब में करीब 100 मीटर की दूरी पर था मैंने देखा कि सड़क पर भगदड़ है। मैं गया तो देखा कि किसान शहीद हो गए है और कुचलने वालों की भी गाड़ी पलट गई।-दिलबाग सिंह, किसान, पूरनपुर, भाकियू के तहसील स्तरीय पदाधिकारी
जहां किसानों को कुचला गया मैं उसके करीब ही सभा स्थल पर अपने आठ-दस कार्यकर्ताओं के संग में था। कार्यकर्ता काले झंडे दिखाने के लिए खड़े थे। तभी मैंने देखा कि खुली गाड़ी में शस्त्र लहराते हुए कुछ लोग निकल रहे हैं। जब किसानों ने काले झंडे दिखाकर नारेबाजी की तो उन्हें कुचल दिया गया। कुचले जाने से भगदड़ मची और इसके बाद वे गाड़ियां भी पलट गई जिन्होंने किसानों को कुचला था। ऐसा लगता है किसानों को जानबूझकर मारा गया है। -देवेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष, भाकियू महाशक्ति
किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। कोई किसान सड़क पर नहीं था। सभी किसान सड़क के किनारे चल रहे थे। घरों को जाने की तैयारी थी, क्योंकि किसानों की सभा खत्म हो गई थी। अचानक आई गाड़ियों के काफिले ने उन्हें कुचल दिया। अफरातफरी मची। जो कुचल गए थे। उन्हें उठाने के साथ घायलों को भी उठाया। लेकिन भगदड़ के माहौल में कई किसान खेतों और नाले में भी गिरे। ऐसा मौत का मंजर देखा कि दिल सिहर उठता है। पूरा मंजर पुलिस और प्रशासन ने भी देखा है।-गुरप्रीत सिंह, पूरनपुर