टोक्यो
चीनी ड्रैगन के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत और जापान की वायुसेना एकसाथ युद्धाभ्यास करने जा रही हैं। इस अहम युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारत अपने अत्याधुनिक सुखोई-30 फाइटर जेट भेजने जा रहा है। दोनों वायुसेनाओं के बीच यह अभ्यास पहले वर्ष 2020 में होना था लेकिन उसे कोरोना वायरस के कारण स्थगित कर दिया गया था। यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब पूर्वी चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ क्रमश: जापान और भारत का तनाव काफी बढ़ा हुआ है।
जापानी अखबार सानकेई शिमबून ने बताया कि चीन के खतरे को देखते हुए इस साल के आखिर तक यह भारतीय-जापानी अभ्यास हो सकता है। भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमान, अमेरिका के एफ-15 और ब्रिटिश टाइफून फाइटर जेट आपस में अभ्यास कर चुके हैं। हालांकि जापानी वायुसेना के फाइटर पायलट के साथ रूसी मूल के विमान के साथ मुकाबला दुर्लभ माना जा रहा है। जापानी वायुसेना अमेरिका निर्मित एफ-15, एफ-2 और हाल ही में मिले दुनिया के सबसे आधुनिक विमान एफ-35 का इस्तेमाल करती है।
‘सुखोई-30 विमानों के साथ अभ्यास का महत्व काफी अधिक’
जापान की वायुसेना न केवल चीन के सुखोई-30 विमानों बल्कि रूसी सुखोई-30 विमानों का अक्सर सामना करती रहती है। जापान का रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद चल रहा है। चीन और रूस दोनों ही सुखोई सीरिज के कई विमानों का इस्तेमाल करते हैं। इस अभ्यास से जापानी वायुसेना सुखोई जेट के खिलाफ जंग के गुर सीख सकती है। जापान के कनागवा यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ कोरे वॉलेस ने कहा, ‘जापान का भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमानों के साथ अभ्यास का महत्व काफी अधिक हो सकता है।’
वॉलेस ने कहा कि इस अभ्यास से जापानी पायलट सुखोई-30 की हवाई कौशल, रेंज, ईंधन की खपत और मेंटेंनेंस आदि के बारे में जानकारी मिल सकती है। यह युद्ध के दौरान रणनीति बनाने में काफी कारगर हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के सुखोई कई खास क्षमता से लैस हैं जिनके बारे में भी जापानी सेना को जानकारी मिल सकती है। माना जा रहा है कि इस अभ्यास का मकसद चीन को सख्त संदेश देना है जो भारत और जापान दोनों के लिए खतरा बना हुआ है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ अर्जान तारापोरे कहते हैं कि भारत अच्छी तरह से जानता है कि चीन के खिलाफ फायदे की सबसे अच्छी स्थिति यह है कि वह जापान जैसे एक समान सोच वाले देश के साथ गठजोड़ करे। उन्होंने कहा कि गठजोड़ का निर्माण चीन को सबसे ज्यादा डराता है। इस अभ्यास की योजना उस समय बनी थी जब दिसंबर 2018 में जापान ने अपने सी-2 ट्रांसपोर्ट विमान को आगरा भेजा था। भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान के साथ जापानी विमान ने अभ्यास किया था।
रूस के नाराज होने का खतरा मंडराने लगा
जापान और भारतीय वायुसेना के बीच इस अभ्यास से रूस के नाराज होने का खतरा मंडराने लगा है। रूस का जापान साथ सीमा विवाद चल रहा है। हाल ही में रूस ने अपने एक विमान को जापानी क्षेत्र में भेज दिया था। यही नहीं दोनों ही देशों ने सीमा विवाद को लेकर एक दूसरे के राजनयिकों को तलब कर कड़ा विरोध भी जताया था। दरअसल, कुरील द्वीप को लेकर जापान और रूस के बीच विवाद है। रूसी सरकार इस विवादित इलाके में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने पर विचार कर रही है। इससे जापान भड़का हुआ है। वहीं भारतीय सुखोई-30 विमानों को रूस ने बनाया है और उसकी जानकारी जापानी वायुसेना को भी मिल जाएगी। ऐसे में इस अभ्यास पर रूस की प्रतिक्रिया का इंतजार सभी को रहेगा।