मनीष गुप्ता हत्याकांड कानपुर प्रशासन के लिए बुधवार को दिन भर चुनौती बना रहा। परिजन घर के बाहर शव रखकर मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े रहे। मामला जब पुलिस से नहीं संभला तो जिलाधिकारी विशाख जी. ने शाम करीब पांच बजे मनीष के घर पहुंचकर समझाने का प्रयास किया, लेकिन परिजन नहीं माने। डीएम और पुलिस कमिश्नर पौने तीन घंटे तक उनके घर पर ही मौजूद रहे और बंद कमरे में परिजनों को बार बार समझाते रहे। आखिरकार इस बात पर सहमति बनी कि गुरुवार को मुख्यमंत्री से मिलने के बाद ही मनीष के शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से पहले ही विरोध खत्म कराने का प्रशासन पर दबाव था। हर घंटे लखनऊ से अपडेट लिया जा रहा था। मैनेज न कर पाने पर अफसरों को घुड़की दी जा रही थी। मगर भारी आक्रोश की वजह से ऐसा नहीं हो सका। अब मुख्यमंत्री के दौरे की वजह से प्रशासन की सांसें अटकी हैं।
डर इस बात का है कि कहीं मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में खलल न पड़ जाए। चूंकि इस कांड में गोरखपुर पुलिस की बर्बरता सामने आई है इसलिए कानपुर पुलिस को जोर जबरदस्ती न करने के निर्देश दिए गए हैं।
अब गुरुवार को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर रणनीति बनाई जा रही कि परिवार के लोग कार्यक्रम स्थल (डीएवी मैदान) के पास हंगामा न कर सकें। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि मृतक के मोहल्ले के लोग भी इस घटना से आक्रोशित हैं।
जन आक्रोश को देखते हुए प्रशासन इस प्रकरण पर फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। यही वजह रही कि मृतक के घर पर पुलिस के साथ प्रशासन की ओर से एडीएम सिटी और एसडीएम सुबह से ही मौजूद रहे और पल-पल की जानकारी आला अफसरों को देते रहे। बताया जा रहा है कि विपक्ष इस मसले को भुनाने की तैयारी कर रहा है।
आखिर क्यों नहीं मिलना चाहेंगे मुख्यमंत्री
मनीष के परिजन भले ही मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े हों, लेकिन जनता में चर्चा इस बात की भी रही कि ऐसे प्रकरण में मुख्यमंत्री संभवत: खुद ही आकर मिलते। चुनाव का समय है और ऐसे में उनके न मिलने की कोई वजह नहीं दिखती। चर्चा तो ये भी रही कि मुख्यमंत्री यदि खुद आकर न मिलते तो यह उनके चुनावी अभियान को नुकसान ही पहुंचाता। ऐसे में मुख्यमंत्री से मिलने की बात को लेकर पुलिस और प्रशासन की इतनी जद्दोजहद पर भी सवाल उठते रहे।