सीबीआई से पूछताछ के दौरान आनंद गिरि की आंखों से आंसू निकल आए। सीबीआई के सख्त सवालों का जवाब देते देते आनंद गिरि कई बार रोया। वह बार बार यही कहता रहा कि उसके पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है। न ही उसने अपने गुरु को कभी ब्लैकमेल किया। आनंद से मठ से जुड़े विवाद और नरेंद्र गिरि से खराब संबंधों के बारे में सीबीआई अफसरों को तफसील से जानकारी दी। सीबीआई ने तीनों आरोपियों खासकर आनंद गिरि के लिए प्रश्नावली तैयार की थी। पुलिस लाइन ले जाने के बाद आनंद को सबसे अलग बिठाया और अफसरों की टीम ने एक के बाद के प्रश्नों की बौछार कर दी और सवालों का तो आनंद जवाब दे रहा था लेकिन ब्लैकमेलिंग और महिला के साथ वीडियो बनाने वाली बात से आनंद लगातार इनकार करता रहा। जब सीबीआई ने सख्ती की तो आनंद की आंखों में आंसू आ गए। उसने बताया कि पुलिस को उसने अपने मोबाइल और लैपटॉप दे दिए हैं। उसमें कुछ भी नहीं मिला।
पूछा गया कि क्या वह कोई और भी मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल करते हैं। आनंद से घर वालों, नजदीकी दोस्तों और मठ से उनके करीबियों के बारे में भी पूछताछ की गई। सीबीआई ने आनंद से कहा कि वह पहले मठ से जुड़ने महंत नरेंद्र गिरि का करीबी बनने की कहानी बताए।
आनंद ने अपने साधु बनने से लेकर निरंजनी अखाड़े से जुड़ने फिर महंत नरेंद्र गिरि के संपर्क में आकर लेटे हनुमान मंदिर में ‘छोटे महाराज’ बनने की पूरी कहानी सुनाई। इसके बाद मठ में जमीन बेचने से लेकर छोटे बड़े सभी विवादों के बारे में सीबीआई ने पूछताछ की। महंत नरेंद्र गिरि से उसके संपर्क बिगड़ने के पीछे आनंद ने कई लोगों का हाथ बताया।
आशीष गिरि की हत्या के बाद जांच की मांग करने पर दोनों में बात और बिगड़ी। दोनों के रिश्ते उस समय सबसे खराब स्तर पर पहुंच गए थे जब नरेंद्र गिरि ने आनंद को मठ और अखाड़े से निष्कासित कर दिया।
इसी के बाद आनंद ने नरेंद्र गिरि के खिलाफ धुआंधार बयानबाजी की और एक डांसर पर पैसे लुटाते हुए एक वीडियो भी जारी कर दिया था। आनंद ने बताया कि कैसे बाद में कुछ लोगों के प्रयास से लखनऊ में दोनों में लिखित समझौता हुआ लेकिन गुरुजी ने उसे दोबारा मठ और अखाड़े में प्रवेश नहीं दिलवाया।
सीबीआई के प्रमुख सवाल
-क्या उन्होंने कोई कोई वीडियो बनाया है?
-क्या वीडियो तैयार करने में और भी लोगों ने उनकी मदद की है?
-क्या उन्होंने किसी करीबी से नरेंद्र गिरि को वीडियो के बारे में फोन कराया था?
-महंत द्वारा नोट लुटाते जो वीडियो जारी किया था, उसे किसने उन्हें दिया था?
-मठ में उनका प्रवेश और तरक्की कैसे हुई?
-मठ में जमीन को लेकर क्या क्या विवाद था?
-क्या उनके नाम कोई पेट्रोल पंप है, क्या वह मठ की जमीन पर खोलना था?
-जब उन्हें अखाड़े-मठ से निकाला गया तो उनकी बयानबाजी के पीछे क्या सच्चाई थी?
-लखनऊ में हुए समझौते के पीछे क्या कोई डील हुई थी?
सीबीआई ने पूछा, महंत से क्या दुश्मनी थी?
वहीं, सीबीआई ने पुलिस लाइन में आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप से भी पूछताछ की। दोनों के नाम सुसाइड नोट में हैं। सीबीआई ने पूछा कि उनकी महंत से क्या दुश्मनी थी। दोनों रोने लगे, बोले ‘हमारी बड़े महाराज से कोई दुश्मनी नहीं थी। वही हमारे अन्नदाता थे’। महंत ने सुसाइड नोट में उनके नाम क्यों और कैसे लिख दिए, वे नहीं जानते।
नैनी के रहने वाले आद्या तिवारी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी थे। भगवान की आरती, प्रसाद और चढ़ावा की जिम्मेदारी उनकी ही थी। संदीप की बाहर फूल माला और प्रसाद की दुकान थी। जब नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के रिश्ते में बिगड़े तो संदीप खुलकर आनंद गिरि के साथ हो गया था। आनंद और संदीप की उम्र लगभग समान है। इसी कारण उनमें दोस्ती का रिश्ता हो गया था।
इसी के बाद नरेंद्र गिरि का संदीप और आद्या से रिश्तों में बिगाड़ होने लगा था। महंत ने पहले संदीप को मंदिर के बाहर दुकान हटवा दी फिर आद्या से कहा कि वह अब बूढ़े हो गए हैं। उनसे आरती, चढ़ावा और प्रसाद की जिम्मेदारी छीन ली गई हालांकि मंदिर आने से आद्या को नहीं रोका गया था। आद्या और संदीप ने बताया कि उनकी महंत से कोई दुश्मनी नहीं है। वे आनंद गिरि से बात जरूर करते थे लेकिन उनकी दुश्मनी के बारे में उनसे कोई मतलब नहीं था।